इक्दुकाराध्यायन | Ikdukaradhyayan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
987 KB
कुल पष्ठ :
88
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(४० )
विसालकित्ती य तहें खुयारों,
रायडत्यथ ठेवी कमलापडे य ॥ ३ ॥
छाया-पुस्पमागस्प कुमारी द्वापि, पुरोहितस्तस्य यशाश्र पत्नी |
विशालकीर्ततिश् तथेन्नुक्गरा-राजाध्य देवी कपलायती च ॥३॥
अन्ययार्थ-(अच्) यहा पर (रपुस्त्यम ) पीरप्य पने (आग
रथ) प्राप्त हुए (हो) दोनों (अपि) प्रधानता सूचक (कुमारी)
कुमार (पुरोहित) ' तीसरा ? पुरोद्दित (वे) ओर ' चीया
(तस्थ)उसकी (पत्नी) ओरत (यशाः) यशा नाम चाली (तथा)
. तेमें ही 'पाचवा” (विशालकीर्सि३) विस्तीणकी्ि वाला
(इच्ुकार:) $छुफार नापक (राजा) नरश (च) ओर “छट्ठा'
(देवी) राणी (कमलावती) कम्रलायती नाम की हुई ॥३॥
भायांथे-छ पुरुष यथा शक्ति धर्म त्रिया कर एक दी स्वग के
एक डी विमान में छ ही देवता हुए थे | वद्दा पे अपना २ शझ्ायु
पूर्ण कर उन छुथो में से पक देव यद्दा इच्ुकार नास के नगर मे
इचछुकार नामक नरेश हुपा ! ओर दूसरा एक देव इसी राजा के
क्मलायती राणी हुइ ) त्तीसरा एक देव इसी सगर में शसु नामक
राज्य पुरोदित इुआ। और चौथा एक देव इसी पुरोद्धित के यशा
नाम धाली औरत हुई । और दो देव राज्य पुरोद्धित के पुत्र पने
आकर हुए॥ ३ ६
मृल-जारेजरामच्चुभयाभिभूया,
वर्टिविहारामिनिविद्वचित्ता
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