पकी फसल के बीज | Paki Phasal Ke Beej

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Paki Phasal Ke Beej  by प्रेमशंकर रघुवंशी - Premashankar Raghuvanshi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दगा खाये दोस्त-सा मेरी भूख के लिए भरा थाल जो है जंगल! आदमी को टुकड़ा-टुकड़ा बाँटकर रचता जब भी कोई धरती पर फसाद मैं अंदर तक चिटक जाता अकाल-सा मेरी भूख के लिए सहभोज को परोसी पत्तल जो है धरती! पकी फसल के बीच / 23




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