शब्द यात्रा पर है | Shabd Yatra Par Hai
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
937 KB
कुल पष्ठ :
102
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शब्द याद्रा पर हैं 5
बिम्ब हमारे
मेरे गाव कहा अब छप्पर ककरीट के घर है
अलगोजो की धुन कहा हैं बन्दूको के डर हें
रखी हुई हैं रिस्टवॉच मे बारूदी शकाए
ठाणी ठाणी बनी हुई है रावण की लकाए
राजनीति चौराहे पर हतप्रभ सी खडी हुई है
आज अहिसा के काघो चढ हिसा बडी हुई है
ऐसे मे करूणा से कोई कैसे ब्याह रचाए
अब इन्सानी रिश्तो के मन रखे हुये पत्थर हैं।
अविश्वास का धुआ जमा है पीपल के पत्तों पर
चतुराई की दृष्टि टिकी है मधुमक्खी छत्ता पर
नीलाथोथा पसर गया है केसर की क््यारी मे
कोई भींग नहीं पाता है अब आसू खारी मे
ऐसे म ममता का कोई कैसे साथ निभाए
जहा आस्था क पर टूटे बिखरे तितर बितर ह।
विड्डी दल सा दूट पडा है भौतिक सुख जीवन पर
जाने कितने बाण सघे हैं प्रश्नो के चिन्तय पर
अपनी ही धडकन अब हम को भ्रम मे डाल रही है
» अपने चेहरे की विकृति युशफहमी पाल रही है
ऐसे मे अब कैसे खुद को दर्पण सम्मुख लाए
जहा हमारे बिम्ब हमी से माग रहे उत्तर है।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...