रॉकेट और अन्तरिक्ष यान | Roket Aur Antariksh Yan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Roket Aur Antariksh Yan by जॉन डबल्यू आर टेलर - Jon W R Telar

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about जॉन डबल्यू आर टेलर - Jon W R Telar

Add Infomation AboutJon W R Telar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
भारम्म में चीनियों द्वारा और बाद में सारे संसार में सनिकों द्वारा प्रयुक्त रॉकेट लम्बी दूरियों को तय करने अथवा भारी वारहेड (फ्ध्वा16980) ले जाने के लिये नही बनाये गये थे । बारूद जैसे प्रणोदक विल्कुल उपयुक्त थे और मुख्य समस्या यह निश्चित करने की थी कि ये एक समान श्र स्थायी रूप से जलें । बहुघा बारूद एक झोर की श्रपैक्षा दूसरी शोर तेजी से जल जाता था जिससे रॉकेट उसी ओर घूम जाता था जिस शोर बारूद का भार अधिक रह जाता था । लकड़ी को बांधने से रॉकेट का इस प्रकार हटना वन्द हो गया क्यों- कि जब रॉकेट घूमने लगता था तो उस पर इतना खिंचाव पड़ता था कि वह शीघ्र ही वापस सीधी रेखा में झा जाता था । बारूद को शंकु के झ्राकार में खोखला करने से वह अधिक समान रूप से जलने लगा और शक्ति भी अ्रधिक प्राप्त हुई जिससे जल्दी ही बारूद के भ्रधिक क्षेत्र में आग लग जाती थी। इस सरल सिद्धान्त को अश्रब भी श्रातिशबाण्ी वाले रॉकेट में इस्तेमाल किया जाता है। किन्तु यह द्वितीय विश्वयुद्ध में वायुयानों से ज़मीन पर स्थित लक्ष्यों के विरुद्ध फ़ायर किये गये ठोस-प्रणोदकों से चलने वाले रॉकेटों के लिये उपयुक्त नहीं था क्योंकि उसके लिये तेज़ चाल वाले और लम्बी परास वाले रॉकेटों की झ्रावश्यकता थी । इसलिये अमेरिका के 12-इंची टिनी दिम रॉकेट (1119 पा 105८6) का अधिकतम ज्वलन क्षेत्र सुनिदिचत करने के लिये गोलाकार हिस्से के बजाय स्वस्तिकाकार हिस्से [(०एलंतिय1 ४९८४०॥) के साथ ठोस-प्रणोदक की चार प्रथक्‌ छड़ें सांचे में डाली गई थीं । आतिशवाजो-रॉकेट जिसमें खोखलसा किया गया चार्ज धोर वेन्चुरो तुड़ दिखाया गया है यदि प्रणोदक के बहुत बड़े क्षेत्र को शीघ्र जलने दिया जाय तो उपयुक्त व्यवस्था के फलस्वरूप मिकास गैस की पर्याप्त मात्रा शीघ्र से उत्पन्ध होती है ओर यदि समान भार के प्रणोदक की एक ही छड़ की पीछे से आगे की भोर जलाया जाय तो इससे मिलने वाली निकास गैस उतनी तीव्रता से उत्पन्न नहीं होती है । किन्तु यही उच्च कार्य-निष्पन्नता की गारंटी नहीं है क्योंकि यदि गैसें रॉकेट के पिछले हिस्से में स्थित त्‌ंड से उच्च गति से निष्कासित न होतीं तो वे खोल (०३४५॥४) को उड़ा देतीं | श्रतः गैसों को बाहर निष्कासित करना बहुत- कुछ तुंड के उपयुक्त डिज़ायन पर निर्भर करता है । ड०




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now