मनन माला | Manan-mala
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
866 KB
कुल पष्ठ :
72
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रियतम प्रभुका शुसागमन १३
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चुझा रहा है। नेगो । तुम क्या देखते हो ! इस मनभावन विचित्र
इटठाकी जबटोकन करके सदाये लिये गहरी पूंजी इकट्ठी कर लो ।
ऐसा सगय वरनवार नहीं मिलेगा । योगियोंकों यह बाँफीसोकी
अनेक उाधनोंद्वारा भी आप्त नहीं होती । शिवअक्षादि भी इसे
खोजते फ्रिरते £1 देख को, किर देख ओो, अवकौ चूके पार
नह मिलेगा--
मोदन वसि गयो इन नैननमें |
ठोकलान इठकानि छूटि गई यात्री नेद लगवर्मे ॥
लित देखी तित ही वह दीख घर घाहर आँगन ।
अंग अंग अति रोस रोममें छाय रहो तन मनभें॥
इंडल झलक कपोलन सोद वाजूबन्द शुजनमें ।
कंकन कलित ललित बनमाठा सूपुर धुनि चरननमें॥
चपल नेन अझुटी चर बाकी ठादो सघन लतनमें।
भारायन पिनु भाल विक्की हीं याकी नेक दँसनर्मे ॥
नवरकिशोर चितचोर ! आब यह चरणसेवक कतार हो गया।
बढ़ी ही झुपा की,जो इसे आज सौमाग्यपद दिया | प्रेमकी आकर्षण -
एकिको वबाराबार धन्य है जो कि सरकारकों के धागे ही बंध छायी |
दिल सोचो लगो जेहिफों लेदिसों तेदिको तेद्टि दौर पठावत दे।
चलि ईंस छुगे छुक्ताइलको अरु चातक खातिकों पावतु दे॥
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