मनन माला | Manan-mala

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Manan-mala by ज्वाला सिंह - Jwala Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रियतम प्रभुका शुसागमन १३ ग्रीस नीम ७० ०+>१०५०-म ०० क+कपकत०वनन- 1७% धर. न सा ए/एमपाकनाा कक . कत >मीममन्‍ .न. ऋरनक मन वन... था अल बम हहन पशा आन रच हन ९४. 4 अिनान- जन “नाल पकलाननातनभत फलन-+करनाक कप चुझा रहा है। नेगो । तुम क्या देखते हो ! इस मनभावन विचित्र इटठाकी जबटोकन करके सदाये लिये गहरी पूंजी इकट्ठी कर लो । ऐसा सगय वरनवार नहीं मिलेगा । योगियोंकों यह बाँफीसोकी अनेक उाधनोंद्वारा भी आप्त नहीं होती । शिवअक्षादि भी इसे खोजते फ्रिरते £1 देख को, किर देख ओो, अवकौ चूके पार नह मिलेगा-- मोदन वसि गयो इन नैननमें | ठोकलान इठकानि छूटि गई यात्री नेद लगवर्मे ॥ लित देखी तित ही वह दीख घर घाहर आँगन । अंग अंग अति रोस रोममें छाय रहो तन मनभें॥ इंडल झलक कपोलन सोद वाजूबन्द शुजनमें । कंकन कलित ललित बनमाठा सूपुर धुनि चरननमें॥ चपल नेन अझुटी चर बाकी ठादो सघन लतनमें। भारायन पिनु भाल विक्की हीं याकी नेक दँसनर्मे ॥ नवरकिशोर चितचोर ! आब यह चरणसेवक कतार हो गया। बढ़ी ही झुपा की,जो इसे आज सौमाग्यपद दिया | प्रेमकी आकर्षण - एकिको वबाराबार धन्य है जो कि सरकारकों के धागे ही बंध छायी | दिल सोचो लगो जेहिफों लेदिसों तेदिको तेद्टि दौर पठावत दे। चलि ईंस छुगे छुक्ताइलको अरु चातक खातिकों पावतु दे॥




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