हाड़ी शतक | Hadi Shatak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
811 KB
कुल पष्ठ :
96
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about नाथूसिंह महियारिया - Nathusingh Mahiyariya
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हाडी शतक
मर दिया। लेबिन अब वे ही हाथ, स्वर्ग में पहुँचने पर श्रपने
पति के विवाह-कक्ण को खोलने मे विलव कर रहे है!
पिउ श्ररियां घड़ खोलिया,
अब तो खोलो श्राय ।
हुडी बंधिये डोरडे,
बेठी सुरपुर मांय॥१॥।
शब्दार्ष - पिउ>पति, भ्रिया>शत्रुप्रों बी, खोलियारूवाट दी ।
भावार्थ -हाडी भ्रपने पति से बहती है-हे प्रियतम !
युद-भूमि में भापने तलवार से शत्रुओं वे घड खोल दिये हैं
(तलवार से शत्रुम्रों वी ग्देनें काट दी हैं); श्रव तो झ्रावर
भेरे विवाहयबण फोलो ! यह झ्ापपी हाडी, जिसके हाथ
में विवाह-पवण बेंधे हैं, स्वर्ग में बैठी श्रापवी प्रतीक्षा कर
रही है ।
हाडी सुरपुर रे मेंही,
सुर नारियाँ गवाय।
तो रावत रण नहें तने,
ओो्कू रही सुखाय ॥रणा
१३
User Reviews
No Reviews | Add Yours...