स्थिति विज्ञान तथा गति विज्ञान भाग - 1 | Sthiti Vigyan Aur Gati Vigyan Bhag - 1

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Sthiti Vigyan Aur Gati Vigyan Bhag - 1  by एस॰ एल॰ लोनी - S. L. Loni

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मूमिका डे हैँ. कि किसी पिंड को पृथ्वी पर गिरने से रोकने के छिये कुछ परिथ्रम की आवश्यकता होती हूँ । पृथ्वी हरएक पिड को अपनी ओर उस बल से आकषित करती हूँ जो, जेसा कि हम गति विज्ञान में देखेंगे, पिड को मात्रा के अनुपातीय है । वहू बल, जिससे पृथ्वी किसी पिंड को अपनी ओर आकर्षित करती है, पिंड का भार कहलाता हूँ । १०-बल की माप | हम स्थिति विज्ञान में बल की इकाई को एक पौंड मानेंगे। इसलिये बल की इकाई उस बढ के बरावर हैँ जो एक पोंड की बे रोक छटकी हुई मात्रा को ठीक थाम सकता हू । हम गति विज्ञान में दिखलायेगें कि एक पीड का भार पृथ्वी के भिन्न भिन्न स्थानों पर भिन्न भिन्न होता हूँ । स्थिति विज्ञान में हमें पृथ्वी के भिन्न भिन्न स्थानों पर बलों की तुछना नहीं करनी होगी, अतः एक पौड के भार का यह परिवर्तन व्यावहारिक रूप से आवदयक नहीं है; इसलिये हम उस परिवर्त्तन को छोड़ देंगे और एक पौंड के भार को स्थिर मानेंगे । ११-एक पौंड के भार” का सक्षिप्त, स्थिति विज्ञान में, “एक पौंड हैँ। इसहिये विद्यार्थी को समझ लेना चाहिये कि “10 पौंड के अल” से तात्पर्य उस “बल से हैँ जिसका भार 10 पौड” हे । १२-बलों को सरल रेखाओं से प्रदर्शित किया जाता है। बल पूर्णतः उस समय मालूम हो जाता हूँ जब हमें (१) उसका परिमाण, (२) उसकी दिला, और (३) उसका ग्रयोग विन्दु अर्थात्‌ पिंड का वह बिन्दु जहाँ पर बल का प्रयोग किया गया हैँ, मालूम हों । अत. हम किसी बछ को उसके प्रयोग बिन्दु से खोची गई एक सरछ' रेखा द्वारा प्रदर्शित कर सकते हे, क्योकि किसी सरल रेखा में परिमाण और दिशा दोनों ही होती है 1 उदाहरणाय : मान छो सरल रेखा 04 उस बल को प्रदर्शित करती है जो बिन्दु 9 पर लगाया गया है और जिसका भार 10 पॉड है,




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