अनुभवगिराउद्योत श्री राम स्नेह धर्म प्रकाश | Anubhavagiraudyot Shri Ram Sneh Dhram Prakash

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Book Image : अनुभवगिराउद्योत श्री राम स्नेह धर्म प्रकाश   - Anubhavagiraudyot Shri Ram Sneh Dhram Prakash

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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परिचय श् हम विना दर्शन किये पीछे कैसे जॉय । श्रीजी महाराज ने उनकी ऐसी उत्कट इच्छा जान एक ऐसा दिव्य प्रकाश प्रकट किया कि वे जाश्वर्य में मराये और आपके दर्शन किये और स्तुति की । तब श्री महाराज में उनसे फरमाया कि यह सब ईश्वर की माया है इसके विपः में किसीसे कुछ मत कहना । इस आज्ञा को शिरोधायकर रातकी रात + वे दोनो पीछे बीकानेर आगये | खरूपतिंहजी नामक बारद जो देवयोगसे निर्धन हो गये थे अत्त उनके घर वारादि सब्र गिरवी होगये । जब बहुतद्वी दुःखित होकर आ श्रीजी महाराज के पास आये और जपना सारा वृत्तांत कह सुनाय तब महाराज दयादेचित दो उनको पस्विप्य बनाकर हृक्ष्मीपीः बनादिमा । एकवार सब श्रिष्यीं मे आपके जीवितमदोत्सव (मेला) के ढि संबत्‌ (८३४ वैत्रकृप्णा ७ का निश्चयकर सब को आमंत्रण देदिया मेले की सारी तथ्यारियां होने छगी । अकम्मात्‌ ऐसा हुआ कि आ १० दिन पहले ही शरीर फी छोड परहोक पधार गये। शिप्यों # बहुत दुःख और चिंता हुई । उनकी ऐसी सिति देख आप भगवान्‌ र एकमास की आज्ञा लेकर पीछे पघारे तब तो सारे काम बड़ी घूमघा से होने लगे । नियत तिथि पर सारा जामंत्रित समाज एफत्रिद होगया और भिनको पानीका ठेका दिया गयाया दे पर्याप पानी नहीं देसके इसलिये छोगों को पानी बिना बड़ा कष्ट होने छगा । “प्िष्यों ने सारी बाते थ्रीगुरुदेव सी अर्ज की। जापने फरमाया कि ईधर स इच्छाओं के पू्णे करेगा । और आप अपनी कटी में ध्यान रूगाक १--पाशे शृुण घोररंद हो, एाशे इन्य अ्षमाप 1 रायो सार सरप दे, रहर॒ुद दया पदाप 0 ९ ७ ( भोइरि. पर ३०-६एे इरशाः बएरणे, रारदायक रिफिवाल | शटदाया बएतार सं , सादे यटटां दराक ॥% ६ ॥ गा - डा




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