अनुभवगिराउद्योत श्री राम स्नेह धर्म प्रकाश | Anubhavagiraudyot Shri Ram Sneh Dhram Prakash
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
571
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)परिचय श्
हम विना दर्शन किये पीछे कैसे जॉय । श्रीजी महाराज ने उनकी
ऐसी उत्कट इच्छा जान एक ऐसा दिव्य प्रकाश प्रकट किया कि वे
जाश्वर्य में मराये और आपके दर्शन किये और स्तुति की । तब श्री
महाराज में उनसे फरमाया कि यह सब ईश्वर की माया है इसके विपः
में किसीसे कुछ मत कहना । इस आज्ञा को शिरोधायकर रातकी रात +
वे दोनो पीछे बीकानेर आगये |
खरूपतिंहजी नामक बारद जो देवयोगसे निर्धन हो गये थे अत्त
उनके घर वारादि सब्र गिरवी होगये । जब बहुतद्वी दुःखित होकर आ
श्रीजी महाराज के पास आये और जपना सारा वृत्तांत कह सुनाय
तब महाराज दयादेचित दो उनको पस्विप्य बनाकर हृक्ष्मीपीः
बनादिमा ।
एकवार सब श्रिष्यीं मे आपके जीवितमदोत्सव (मेला) के ढि
संबत् (८३४ वैत्रकृप्णा ७ का निश्चयकर सब को आमंत्रण देदिया
मेले की सारी तथ्यारियां होने छगी । अकम्मात् ऐसा हुआ कि आ
१० दिन पहले ही शरीर फी छोड परहोक पधार गये। शिप्यों #
बहुत दुःख और चिंता हुई । उनकी ऐसी सिति देख आप भगवान् र
एकमास की आज्ञा लेकर पीछे पघारे तब तो सारे काम बड़ी घूमघा
से होने लगे । नियत तिथि पर सारा जामंत्रित समाज एफत्रिद होगया
और भिनको पानीका ठेका दिया गयाया दे पर्याप पानी नहीं देसके
इसलिये छोगों को पानी बिना बड़ा कष्ट होने छगा । “प्िष्यों ने
सारी बाते थ्रीगुरुदेव सी अर्ज की। जापने फरमाया कि ईधर स
इच्छाओं के पू्णे करेगा । और आप अपनी कटी में ध्यान रूगाक
१--पाशे शृुण घोररंद हो, एाशे इन्य अ्षमाप 1
रायो सार सरप दे, रहर॒ुद दया पदाप 0 ९ ७
( भोइरि. पर
३०-६एे इरशाः बएरणे, रारदायक रिफिवाल |
शटदाया बएतार सं , सादे यटटां दराक ॥% ६ ॥
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