प्रश्नव्याकरण सूत्रम् | Shri Prashnavyakarana Sutram
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
35 MB
कुल पष्ठ :
1110
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)४
२३ नारकीय जीव कया २ कहते है बह पर्णन १०६-१०८
२४ प्रमाधार्िक नारकीय जीरों के प्रति बया२ फरते ६
उनका फथन १०९-११०
२५ »चैदनाओं से पीडित नारफ जीदों के आक्रद का निरूपण १११-११७
२६ परमाधामिकों के डाश फी भर यातनाओं के पकर का...
.. निरूपषण ११७-११८
२७ यातना के गिपय में आयुधों (शब्दों) के प्रकारों का निरूपण ११९-१२१
२८ परस्पर में वेदना को उत्पन्न करते हुए नारी यों फरि दशा
: का वर्णन
; १२१-१२७
२९ नारक जीरों के पश्मात्ताप झा निरूपण , ११८-१३०
३० तियगाति जीबो के दुःखों का निरूपण १३१-१३६
३१ चतुरिन्द्रिय जीवों के दुःख का निरूपण १३७-१३८
३२ तिन्द्रिय जीओे के दु ख का निरूपण १३८-१३९
३३ हिन्द्रिय जीवों के दु!ख का वर्णन १४०-
३४ एकेन्द्रिय जीव के दुःख का वर्णन
१४१-१४४
३५ दु खाँ के प्रकार का बणेन १४५-१५१
३७ मनुष्यंभ्द मे दु'खों के प्रकार झा निरूपण १५२-१६३
छ दूसरा अध्ययन
३७ अलीक्बचन का निरूपण १६४-१ ६८
श्ट अलीकवचन के नाम का निरूपण १६८-१७४
३९ जिस भाव से अहीक वचन कहा जाता है उसका निरूपण १७४-१७९
४० नास्तिऊवादियों के मत का निरूपण _ १८०-२०५
४१ अन्य मनुष्यों के मृपराभाषण का निरूपण २०६-२१४
४२० ग्पावादियों के जीव पातक वचन का निरूपण २१७५-२४ १
४३ झूपादादियों को नरक प्राप्तिऱूप फलमाप्ति का वर्णन २४२-२५२
४४ “अछीक वचन का 'फ़लितार्थ निरूपण २५३-२०६
; तीसरा अभ्ययनन
४५ अदृत्तादान के स्परूप का निरूपण २३५७-२६ १
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