भविष्यफलभास्कर | Bhavishyafalabhaskar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
226
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand): तेषु मासेघु देवेशि फल जय शुभ
...... मेपप्रवेशलंगे वा यदि स्थाउ
_. सप्तमस्थों यदा पापों चान्यजातं विनाशयेत्॥८9॥
... - धनेद्थाये च सौम्यः स्यात्किंद्रे वा मेपसंकमे
.... स्वष शुमसुहुदृषटः सुमिक्ष व्यत्ययोडन्यथा ॥८८ ॥
. चैत्र शुदिर्म छोकोंके हिलके लिये मेष संक्रान्तिके समय लग्नका शुभाशुभ
भाषादीकासमेत्त 1... (१५१
माशुनम् ॥. ८6
पैजन्मनि ॥
शोधन करे ॥ ८४ ॥ जो झुभग्रहकी छग्मपर दृष्टि हो तो झुम हो धनधा-
_न्यादियुक्त संपूर्ण व शुभ हो ॥ ८५॥ मेषादि द्वादश भावोंसें जिनमें
सीम्यग्रह होवें सब मास ओएछ्ठ होगें यद्वा क्र घदह हों तो उन महानोंमें उनके
“अनुसार अशुभ फू जाननां ॥ ८६॥. मेष संक्रांति अवेशमें और वर्ष
'अवेशके समयमे सप्तम स्थानमें पापग्रह हो तो धान्यका नाश करें ॥ ८७॥
मेषसंक्रांति मवेशर्भ धनस्थान, एकादशस्थान वा केंद्धस्थानमें वा ख्वक्षेम्म
» शभग्ह तथा मित्रग्नातकी दृश्टियुक्त शुभग्रह हो तो खसुमिक्ष दो अन्यथा
हुमिक्ष हो. ॥ ८८ ॥| का
वर्षल्म्नविचारः |
... -. गणयेचैत्रमासस्य शुहुपक्षस्य सूछतः ॥
प्रतिपल्ग्रवेलायां लग्म शोध्यं शुभाशुभम् ॥ ८९ ॥
:.... मेषलगरे तु पूर्वस्यां डुमिक्षे राजविगहः ॥
. वदक्षिणस्थां सुभिक्ष स्पांद्रहुधान्यरसा के भू
' - धान्यानां विक्रये छामः पृर्णेमेवमहोदयः ॥
लक
. घृततेलादिवस्तूनां पण्यानां च महर्चता ॥ ९१ ॥
< : उत्तरंस्याँ सुभिक्ष स्पाद्राज्ञामद्रेगकारणम् ॥
/ 'मंध्यदेश महावृष्टिनिष्पत्तिधान्यसन्ततेः ॥ ९२ ॥
:... वृषेपिं पश्चिमे कालः पवेस्यां राजविश्रहःती
--.. उदग्धान्यद्धिनिष्पत्तिदेक्षिणस्यां सुकाहूकः ॥ ९३-॥
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