भविष्यफलभास्कर | Bhavishyafalabhaskar

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Bhavishyafalabhaskar by नारायण शर्मा - Narayan Sharma

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about नारायण शर्मा - Narayan Sharma

Add Infomation AboutNarayan Sharma

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
: तेषु मासेघु देवेशि फल जय शुभ ...... मेपप्रवेशलंगे वा यदि स्थाउ _. सप्तमस्थों यदा पापों चान्यजातं विनाशयेत्‌॥८9॥ ... - धनेद्थाये च सौम्यः स्यात्किंद्रे वा मेपसंकमे .... स्वष शुमसुहुदृषटः सुमिक्ष व्यत्ययोडन्यथा ॥८८ ॥ . चैत्र शुदिर्म छोकोंके हिलके लिये मेष संक्रान्तिके समय लग्नका शुभाशुभ भाषादीकासमेत्त 1... (१५१ माशुनम्‌ ॥. ८6 पैजन्मनि ॥ शोधन करे ॥ ८४ ॥ जो झुभग्रहकी छग्मपर दृष्टि हो तो झुम हो धनधा- _न्यादियुक्त संपूर्ण व शुभ हो ॥ ८५॥ मेषादि द्वादश भावोंसें जिनमें सीम्यग्रह होवें सब मास ओएछ्ठ होगें यद्वा क्र घदह हों तो उन महानोंमें उनके “अनुसार अशुभ फू जाननां ॥ ८६॥. मेष संक्रांति अवेशमें और वर्ष 'अवेशके समयमे सप्तम स्थानमें पापग्रह हो तो धान्यका नाश करें ॥ ८७॥ मेषसंक्रांति मवेशर्भ धनस्थान, एकादशस्थान वा केंद्धस्थानमें वा ख्वक्षेम्म » शभग्ह तथा मित्रग्नातकी दृश्टियुक्त शुभग्रह हो तो खसुमिक्ष दो अन्यथा हुमिक्ष हो. ॥ ८८ ॥| का वर्षल्म्नविचारः | ... -. गणयेचैत्रमासस्य शुहुपक्षस्य सूछतः ॥ प्रतिपल्ग्रवेलायां लग्म शोध्यं शुभाशुभम्‌ ॥ ८९ ॥ :.... मेषलगरे तु पूर्वस्यां डुमिक्षे राजविगहः ॥ . वदक्षिणस्थां सुभिक्ष स्पांद्रहुधान्यरसा के भू ' - धान्यानां विक्रये छामः पृर्णेमेवमहोदयः ॥ लक . घृततेलादिवस्तूनां पण्यानां च महर्चता ॥ ९१ ॥ < : उत्तरंस्याँ सुभिक्ष स्पाद्राज्ञामद्रेगकारणम्‌ ॥ / 'मंध्यदेश महावृष्टिनिष्पत्तिधान्यसन्ततेः ॥ ९२ ॥ :... वृषेपिं पश्चिमे कालः पवेस्यां राजविश्रहःती --.. उदग्धान्यद्धिनिष्पत्तिदेक्षिणस्यां सुकाहूकः ॥ ९३-॥




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now