आधुनिक काव्य - कुंज | Adhunik Kavya-kunj

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Adhunik Kavya-kunj by रामेश्वर शुक्ल - Rameshvar Shukl

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूसिका । २५ चित्रण उफ्लब्ध है। अदरीरी श्ृंगार-चित्रण की दृष्टि से उत्तकी अप्सरा शीर्षक कविता द्रष्टव्य है। ग्रंथि में कवि ने सयोग श्वृंगार के सुन्दर चित्र अकित किये है। प्रेम, सौन्दर्य और श्रवूगार की व्यंजना, उन्होने प्रकृति ऑर नारी दोनों के ही. माध्यम सेकी है। नारी के काल्पनिक अथवा मसांसल रूप का चित्रण करते हुए उन्होंने उसे मलिनता से सर्वथा मुक्त रखा है। उनकी प्रथम रव्मि, शिशु, मौन निमंत्रण, एक तारा, नोका-विहार तथा परश्वितेन आदि कविताओं में दाशनिक विचारों एवं रहस्यात्मक उदगारो की कमनीय व्यजना हुई है। दिवास्वप्त गीप॑क रचना में उतकी परायनवादी प्रकृति का भी परि- चथ मिलता है। पन्‍्त के काव्य मे कोमरूकानत पदावर्ली द्वारा सुकुमार अनु- भूतियों और कल्पनाओ का कलात्मक चित्रण हुआ है। वे शब्दों और उनकी अर्थ गरिमा के पारखी है। उनके काव्य में यति-गति युक्त एवं नाद-सोन्दर्ये- सुमन्बित सात्रिक छन्दों का हैँ! विशेष प्रयोग हुआ है। रूपक योजना एवं नवीन उपमान-विधान से उनकी रचनाएं दी-त' है। विशेषण विपर्यय, विरोधा- भास, मानवींकरण तथा चित्रमय प्रतीक-विवान का उदके काव्य में विशेष चमत्कार दिखाई देता हैं। उनकी व्यंजन-गैली लाक्षणिक एवं ध्वन्यात्मक है। पल्‍लव, गुंजन, उत्तरा, कला और बूढ़ा चाद तथा लोकायतन आदि प्रौढ़ काव्य-कृतियों में उनकी इन काव्यगत विशेषताओं को सहंज ही लक्ष्य किया जा सकता हैं। युगान्त, युगवाणी और ग्राम्या--उनकी प्रगैतिवादी रचनाएं है, जिनमें उन्‍होंने सामाजिक विपमताओं का अंकन करते हुए स्ाम्यमूछक नये युग का आह्वान किया है। स्वर्णकरण, स्वर्णयलि, उत्तरा और अतिमा मे अरविन्दवार्द। दर्शन की अभिव्यक्ति हुई है और प्रतिपादित किया गया है कि भौतिकणाद और अध्यात्मवाद के समन्वय हारा हूं! युग की समस्याओं का समाधान संभव है। छायावादी काव्य-बारा के विंकारः में महादेवी वर्मा का महत्वपूर्ण स्थान हैं। आधुनिक युग में भावात्मक रहुस्यवाद को ने सर्वप्रमुख कवथित्री है। आत्मा का परमात्मा के प्रति विद्वल प्रणय-निवेदत रहुस्थवाद है। महादेवी के अधिकाश




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