बीज लम्बी कविता | Beez Lambi Kavita
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
579 KB
कुल पष्ठ :
84
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आज फिर से चौराहे पर
किसी मसीहा की प्रतीक्षा में
खड़ा है-
उसे तोड़ने हैं अपनी आत्मा के पहरे
और लड़ना है एक युद्ध-
जो घटेगा उसके भीतर ही कहीं गहरे ।
गुलाम
नहीं कर सकता सृजन
इसीलिए- बीज नहीं होता गुलाम कभी
इसीलिए- बीज के खिलाफ खड़े हैं
सरमायेदार सभी ।
वे इकट्ठा करते हैं बीज
उन्हें जांचते-परखते
सजाते-संवारते हैं
कभी भरते हैं रंग तो कभी बारूद
और मृत्यु को पुकारते हैं-
यह सब उन्हें लगता है
बेहद खूबसूरत-
इसी के लिए वे बनाते हैं
बड़े-बड़े आलीशान मकान
जिनमें रहते हैं-
बीज/25
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