बीज लम्बी कविता | Beez Lambi Kavita

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Beez Lambi Kavita  by प्रमोद कुमार शर्मा - Pramod Kumar Sharma

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about प्रमोद कुमार शर्मा - Pramod Kumar Sharma

Add Infomation AboutPramod Kumar Sharma

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
आज फिर से चौराहे पर किसी मसीहा की प्रतीक्षा में खड़ा है- उसे तोड़ने हैं अपनी आत्मा के पहरे और लड़ना है एक युद्ध- जो घटेगा उसके भीतर ही कहीं गहरे । गुलाम नहीं कर सकता सृजन इसीलिए- बीज नहीं होता गुलाम कभी इसीलिए- बीज के खिलाफ खड़े हैं सरमायेदार सभी । वे इकट्ठा करते हैं बीज उन्हें जांचते-परखते सजाते-संवारते हैं कभी भरते हैं रंग तो कभी बारूद और मृत्यु को पुकारते हैं- यह सब उन्हें लगता है बेहद खूबसूरत- इसी के लिए वे बनाते हैं बड़े-बड़े आलीशान मकान जिनमें रहते हैं- बीज/25




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now