ग्रहण फल दर्पण | Grana Fala Darpana
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
84
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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भोगान्विताश घुतखंड वराइनाश
पीढां प्रयान्ति यदिसेद्विणिमे ग्रह।स्यात् ॥ ५९ ॥
अहृण रोहिणी में हो ठो व्यापारी, राजा, घनवान्, श्रेष्ठ शत धारण
बकरने वाले, खेती करने वाले, मल धान्य, गाडीवानू, गाय तथा बेल, पर्वत
वासी, नाना प्रकारके भोग मोगने वाले, धुत, ख़रांड ओर वेश्या-इन को
पीड़ा हो वे ।
मृगशिर नक्षत्र फल--
वख्नाज्व पुष्प फल रत्नाविह गमाश्न
गान्धर्व कामुकसुगन्धि बनेचराश |,
येसोमपाश्रदरिणा आपेलछेसदारा-
स्तान्पीडयेश्ननटका न् ग्रहण मृगगर्कषे ॥ ६० ॥
ग्रहण मुगशिर में हो ते वस्घ, कमछ, फल, पुष्प, मोती आदि रत्न,
पक्षी, गाने वॉढे, कामी, सुगन्दी वस्तु, वन में विचरने वाले, सोमपान करने
बाड़े, हरण और ढेखफ़-इनको पीड़ा होवे।
आद्रों नक्षत्र फल--
गेचीर्ग शादयबबन्धन पेदकारा
मन्गाभिचार कुशला परदार सक्ता; |
वैतालिका नृपतराः कहकौपध्शनि
हन्पादग्रददोकेशाशनों यदि रोदभेस्पात | ६१ ॥
अहण आद्ों में हो तो चोर, सट, बन्धव भेद करने वाले, मन्त्र प्रयो-
गसे शत्रुओं को दण्ड देने वाले पराई स्त्रियों से स्नेह रखेने वाले, वेधाल
को वश में रखने वाढ़े, नाचने वाछे और कडबी औषधी--इनो पीड़े हेते।
पुनव॑सु नक्षत्र फल--
_ ये सत्यशौच निरवाःकुशला यशोन्विता
रुपाखिताश्र धन धन्य युताश्शिल्पिनः ॥
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