जैन तत्त्व का नूतन निरूपण | Jain Tattv Ka Nutan Nirupan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Jain Tattv Ka Nutan Nirupan by धीरजलाल के० तुरखिया - Dheerajlal K. Turkhiya

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about धीरजलाल के० तुरखिया - Dheerajlal K. Turkhiya

Add Infomation AboutDheerajlal K. Turkhiya

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
है. ७४ जाम धरम | धा्मिक दौीयन ही नेसमिक् नीयत है) चाप चीपन एवं निरयय है। पशुरण झपन जीपक से शरसिता मार्ल दोसा बस ही घम रहित मयुष्य भी झपने ज्ञोयन स नहीं शरतात | धर्मरद्धित मनुष्य कयल पु भृमि की शामारूप है ।झगर या पडा चाय डि पमद्दित मनुष्यों का झध्रिद्ांश भाग पशुमृसि को भी लग्लित कर दवा हैँ. हो भी अत्युतिह 1 श्गी । मसुत्य चिवन शैश स पशु कोनिमि उतने भर्शा म यह प्रिपयकपायकी प्रवृत्तियाँ स लग्नितनडीं दाता जितने अश में पाशयता का ऋमापय द॑ उतने झश में झपन अधम मय जीवन पे जिये लज्ताय पर्चात्ताप द्‌। | जड़ एसिन मे जिम प्रशर झरित एव पायी की शक्ति काम कार रही दे उसी प्रतार ज़ट शरीर म झत्ति रूप घम ये पुयय दे धम को भांदर दुव या पद्वी उन्तु बद दमार दर एफ श्वासोच्दास में सद्दायक दै ; दना धम व मनुष्य वा मूल्य मांस व एियड रू अधिक नहीं दे | धम क ही प्रभाव मे साँस डा यद्द लोदा एथ्या पर गिर पड़गा । घमतरप पु्भों मे नहीं हैं | किर भी ता मनुष्य प्राप्त शक्ति हा सदुपयांग नहीं करता दे यद्द पग्चु से भी निशष्ट क्या न फटा लाय ९ घर्ते 4 शरण विया पश मात्र भी छुछ नह मिक्ष सकता । घमर बोइ कट श्रोपधि नहीं दै कि जिसछा सदाशा मिर्प दुख में ही लिया लाव। घम यह कोड ध्याभूषण नहीं दे कि जो माय पथ दिनों में ही पद्चिना ज्ञाय 1 झधम राय की सवारी पधार तथ उस पथ निमित्त अली सड़क ( 11090 ) यनाइ जाव उस पर म'पमन्न मिलाया जाब कौर




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now