श्रीमद्भगवत गीता | Shrimadbhgvdh Geeta

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Shrimadbhgvdh Geeta  by हनुमान प्रसाद पोद्दार - Hanuman Prasad Poddar

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He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अध्याय १ २३ भीषदोणपरमुखतः, . सर्वेधाम, व, मद्दीक्षिताम्‌,.... उद्याच, पार्य, पश्य, एतान्‌, समवेतान्‌, कुरूनू, इति ॥र७॥ संजय चोला- भारत रहे घृतराष्ष. |च न्‍और गुडाकेशेन >अर्जुनद्वारा | सर्वेपास्॒ <संपूर्ण एवसू . इस ग्रकार | महीक्षिताम्‌ ८ [ राजाओंके उक्तः. कहे हुए सामने भहाराज. | रेशीत्तमघ् -उत्तम रथको हृपीकेश! जन श्रीकृप्-. | ख्वापयित्वा 5खड़ा करके चद्द्रने इति ऐसे उभयो। . ऋदोनों उवाच >कह्ाय कि सेनयो!। उसेनाओंके | पार्थ.. हे पार्ष मध्ये. अ्चीचमें एतानू ऋश्न ( 4 च्ड भीषयदोण- _| भीष्म और | समवेतान्‌ू -इकटठे हुए ३. ++ द्रोणाचार्यके ।कुरुनू -कौरबोंको प्रगुखत [एामने प्द्र्य व्८ देख र शर्जुनका तन्नापश्यत्सितान्पा् पित॒नथ पितामहान्‌ || दोनों सेन हुए बान्यों- आचायीन्मातुत्यन्धातस्पुत्रान्पोत्रान्सखींस्तथा. ॥ ओ देखना। अशुरान्मुहृदरचेव सेनयोरुभयोरपि । तत्र, अपर्यत्‌, घ्ितान्‌ , पार्य;, पितृन्‌; अब, पितामद्दान्‌+ आचार्यान्‌, मातुलान, आतृन्‌, पुत्रान्‌; पौतरान्‌, सखीन्‌, तथा, अशुरान्‌, सुदृद), च, एवं, सेनयोः, उमयोः; अपि |




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