मीणा इतिहास | Meena Itiyas
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8.32 MB
कुल पष्ठ :
322
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रध्याय १
मीणा जाति
मीना, मैना मीणा, मेणा, मैणा-श्रादि नामों से सुप्रसिद्ध मीणा
जाति का पूर्वकालोन इतिहास उतने ही श्र घकार में है जितना श्रन्य
श्रादिवासी जातियों का हैं । यह चर्चा करने से पहिले कि इस जाति के
विषय मे विभिन्न इतिहासकारो तथा नृवैज्ञानिको की क्या घारणाये हैं,
मीना (सीणा) शब्द की व्युत्पत्ति पर चर्चा करना समीचीन होगा ।
जहा राजस्थान के विभिन्न भागो मे इसे मीणा, मेरा, मैणा नामों
से पुकारा जाता है, वहीं राजस्थान के बाहर यह “मीना” कह कर
पुकारी जाती है। मीणा जाति के श्रनेक सुपठित व्यक्तियों की यह
घारणा है कि इस जाति का सम्बन्ध भगवान के मत्स्यावतार से है ।
इन्ही व्यक्तियों मे सर्वाधिक उल्लेखनीय नाम है श्री सु्ति मगनसागर का
जिन्होंने “मीन पुराण नामक एक स्वतत्र पुराण की रचना कर यह सिद्ध
करने का प्रयत्न किया है कि मीणा जाति मत्स्यावतार से ही सम्बन्ध
रखती है । मुनिजी ने “मीन” क्षत्रियो की एक पौराशिक जाति की भी
कल्पना की है । . मुनिजी ने “श्रभिधान चिन्तामरि कोष”, “शब्दस्तोम-
महानिधि” तथा “सिद्धान्त कोमुदी' श्रादि कोष-व्याकरण के ग्रथो से “मीन”
।दाब्द की व्याख्या उद्घृत करते हुए मीन” को दुष्टो का सहार करने वाली
जाति बताया हैं । * सुनिजी द्वारा प्रमारिपत मीन” शब्द के दुष्टसहारक
१. मीन पुराण भूमिका पृ०
२. वही पृ० ११.
User Reviews
Ramkesh Meena
at 2019-06-25 20:58:19