कीर्ति कला | Kirti Kala

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Kirti Kala by कीर्तिचन्द्र विजय - Kirtichandra Vijay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अखावना हि स्याहादमजरी ५ एम कारती अनेकबिध दर्शनिक चर्चाओने छहने सामान्य रीते दुर्गैम मनाय छे क्षने पुथी एनो यथायोग्य अम्यास करवानी शूत्ति क्षब्प प्रमाणमाँ जोवाय छे । प्रस्तुत थ्याण्या ण्ना प्रदेशद्वारनी गरजसारे तेरी ऐे ण्यडे का परिस्थितिमा सुधारों थवानों सम छे | जो खरेखर तेम थशे तो व्यास्याकारे सेयेलो परिभ्रम कृताथ थफ्फों गणाशे अते सारा जेवाने झानाद थशे 1 ऋणस्वीकार- बच्चे द्रानिशिकफालोना गुतराती अजुवाद तैयार करवानी मारी भमिरापा कीर्विकल याचर्ता रिशेषत तीव्र बनी णमने पु काये स थोडा घजत उपर यधामति फर्यु ते चदुर हु ब्याष्याश़रनो क्षाभार मान छु। विशेषमां का प्रम्तावना छस्वानु काये स्याख्याकारे मते सॉप्यु तेथी प्रस्तुत दिपयना मारा अम्पास परवे मने जे एाभ पयों ते (मादे पण हु पूमनो ऋणी छु । साक््ठी शेरी, गोपीपुरा, दीराराल र सुस्त ता २५-१२-०८ पापष्या




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