कल्याण नारी अंक | Kalyan Nari Ank
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
77 MB
कुल पष्ठ :
806
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हुर्गति-नाशिनि हुर्गा जय जय, काल-विनाशिनि काली जय जब ।
उम्ता रसा ब्रह्माणी जय जब, राधा सीता रुक्रिसिणि जय जय ॥|
साम्व सदाशिव, सास्य सदाशिव, साख्य सदाशिव, जब शेकर |
हर हर शंकर दुखहर सुझ्कर अव-तम-हर हर हर शंकर ॥
हरे राम हरे राम शाम राम हरे हरे। हरे कृष्ण हरे छृष्ण कृष्ण कृप्ण हरे हरे ॥
जय-जय दुर्गा, जय मा तारा | जब यणेश, जब शुम-आमारा ॥
जयति शिवा-शिव् जानकि-राम । गोरी-शंकर सीता-राम ॥
जय रघुनन्दन जय सिया-राम । वज-गोपी-प्रिय राषध्याम ॥|
रुपति राघव राजा राम | पतितपावन सीता-राम ॥
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के [जिन्रप हिंदू-संस्क्ृतिका खरूप
ध्यान धरे प्रणव-खरूप ज्योति अक्षका जो 'खस्तिक! सुखद शिवरूप वह पाता है |
उर बीच सत्य आदि पोड्श कमर-दल होते है प्रबुद्ध, चिच शुद्ध चन जाता है ॥
भक्ति, 'प्रे', 'समतए विराजती तभी हैं बह“ँ, सब-आत्मद्शन! अनाछत सुह्ता है ।
सगवदू-धाम' मे घिरास हैं परण गति हिंद-संस्कृतिक्ता भव्य रूप यह खाता है।॥
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.उ्पादक--हलुसान्यसाद पोह्यर, चिस्मनत्मछ गोखामी, एस० ००, शास्री /
प्रकाशक: घप्रनंध्धासदासस जल २5 ३ पर
इंद्रकसकाशक--धनस्यामदास जालान, गीताप्रेस, गोरखपुर . .- . कह ० मे
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