भारत के स्वप्न देव श्री भद्रावती पार्श्वनाथ परिचय | Bharat Ke Swapan Dev Shri Bhadravati Parshvanath Ka Parichaya

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Book Image : भारत के स्वप्न देव श्री भद्रावती पार्श्वनाथ परिचय  - Bharat Ke Swapan Dev Shri Bhadravati Parshvanath Ka Parichaya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विशेष--नोट इस पुस्तक में पु. शुरुदव श्री शांतिसुरीजी के बाबत छपे विवरण में श्रीमान नेमीचन्दजी बछावत ने यह खुधारा छावाया हैं यु, गुरुदेव एक हरे रंग की करीब ५ ई'च की श्री पारव- नाथ जी की मूरती व एक स्फटिफ के करीब ७ इ'चं समचौरस श्री जिन कुशल शुरुदेव «के. चरण रखते थे उसकी मे व श्री हीराचन्द जी गोलछा जर्वे भी गुरुदेव के पास जाते तब घुजा करते ये । वह मूरती किस चीज की बनी थी मोलम नहीं पर उसका पद्षालन के लिए. जिस किसी तासक में रखते वह हरे रंग की दिखने म॑ लगती थी मूरती उठा लेने के बाद वह वापस अपने रंग की दिखने लगती थी । ये दोनो ख़स्त॒ए नेने मांगी थी पर पु. गुरुदेव के स्वर्गाभन वाद वह कहाँ गई माठ्म नहीं 1 पु, गुरुदेव ने मेरे फछोदी मे बनाए श्री नेमिनाथजी के मन्दिर के बहुत पहले यानि स. १९८३ में ही माउण्ट आबु में केकर्डी हाउस में मुझे वासक्षेप देकर कहा था कि तेरे हाथ से श्री नेमी नाथजी का मन्दिर बनेगा । उसकी मूरती बनारस से मिलेगी | और मे वासक्षिप भेजुगा वही वासक्षेप प्रतिष्ठा पर मूरती पर डालना स, १९९९ में माह सुद ११ को प्रतिष्ठा थी पर वासक्षेप आया नहीं तव उस टाइम गणि श्री रुग विमरू जी ने कहा कि वासक्षिप - आया नहीं में मेरे पास से वासक्षेप डाछकर प्रतिप्ठा करादूँगा मुझे युरा, विश्वास था कि वासक्षेप जरूर आएगा बैसा ही हुआ और प्रतिष्ठा के ठीक थोडी देर पहले. सुबह ७ बजे गुरुदेव के हाथ : की लिखी चिट्ठी के साथ एक्सप्रेस डीलेवरी से वासक्षेप आया और वही मूरती पर डाछा गया । वह चीठी आज मी मेरे पास पड़ी है। ता. २६-१२-१९८४ 7 मिलापचन्द गोलछा ः अहमदाबाद




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