वामन पुराण [खंड १] | Vaman Puran [Vol. 1]
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
501
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)धष्यु
शिष्य भायोदिर बपन्त चीय॑दात था।यह डजातिसेशूदर था, किलु
सहान तपस्वी था । इस प्रकार मगवान विष्णु नें चारों बर्णों ओर घारी
आश्रमों को भगवान शिव वा पूजने वाला बना दिया ।
इसके पश्चात् जब भगवान शक्र चवित्रवन मे विच्तरण कर रह ये
| तब फामदेव ने पुत उन पर आक्रमण वरने की तैयारी परीधी (इस्त
पर उन्होन उसे क्रोध की हष्टि मघ्रिर मे पैर तब देसा जिससे वह तुर त
| भष्म हो गया । अन्य ग्रथो में जिसा है कि भस्म होने के पश्चात् वह
1 जनम नाम से विद्यात हुआ झौर अपना प्रभार सभी जीवधारियों पर
पे प्रकट करता रहा । पर 'वामन पुराण! में कहा है कि दम्ध ही जाने व.
| पश्चात् वह पाँच पौधों के रूप मे परिणित हो गया जिनके ताम है+-
। द्रुप्रमपृष्ठ, चम्मक, वकुत, पाठस्या, जातोपुष्प | काप्देव ने जो बाण
र् छोड्टे थे वे फलो के सहश्नों प्रकार के वृक्ष हो गये ।
|
|
काम-वासना तो वास्तव में एक अशरी 3 शक्ति है जो सप्रय समय
पर भनुष्य की मनोव्त्तियो को विचलित करती रहती है । उसके बाणो
द्वारा शिवजी का व्यधित होना अलकारिक रूप का वर्णत दही समझा
जा सकता है | “वामत पुराण! मे कामदेव के प्रहायक वरन्त का जैसा
कान््यमय रूपक रचा गया है और अन्त में उसे जिस प्रकार इस देश के
प्रष्तिद्ध सुगधित पुष्पो के रूप में परिणित होता बताया गया है उससे
यह समस्त वणन एक सुदर साहित्यक रचना ही माना जायगा।
1 कामदेव अथरा “मदन! की कल्पना सृष्टि विस्तार भौर श्जा बी उत्त्ति
का एक स्वाभाविक अग्य है और भारदीय तथा विदेशी पुराण-प्र थो में
इसे अनेक प्रकार से लिखा ग्रया है 1
भारत वर्ष वा भौगोलिक वर्णत-
'सप्त द्वीप! का वर्णन भी पुराणों का एक आवश्यकीय वर्ष्य--
1 विषय माना गया है। पुराने समय में आवागमन की कठियाइयों के
६ कारण लोगो को समस्त भारत वर्ष का श्रम कर लेना ही एक बा
” बात समप्ती जाती थी। इस लिये उत्त समग्र 'साध्त दीव का
हुव
जो
हे
User Reviews
No Reviews | Add Yours...