श्री राजप्रश्र्नीयसूत्रम् | Shri Rajprakshiniyasutram
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
35 MB
कुल पष्ठ :
502
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about घासीलाल जी महाराज - Ghasilal Ji Maharaj
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अशुद्ध
सज्ञ्ञय
प्रा दपीठा |
प्ण्
छुच्यभां
से ँ
पडिविसज्जे
भुणपनेयथान
'उल जीवियारिई
० सने
पच्चाप्पिणेह
घंटों वाले
हिजए
घर्टावाला
रप्टे
ष्र्य
चहुणं
प्रमसौमनस्थितः
वहुगणतरम्
आरामगय वा
त भ्रेव
ना लभह
केवलिपनत धम्म
केवलिपन्नत
वाद्यखाघेन
छ्त्तण
महण
ण्
आरामगत
उवस्सगय
अचुतासना
शुद्ध
सज्ज्ञेय
प्रासादपीठा
प्ग॒
हध्यभों
९८
पडिविसज्ते ३
मभअवनेध् न
विषुरू जीवियारिह
उसने
पच्चणिणेह
घंटोवाले
हियए
घंटोंवाला
(हट
भखु
बहूण
प्रमर्सामनस्थितः
बहुगुणतरस
आरामगय वा
ते चेव
नो. लभई
केवलिपन्नतत धर्म्म
केवलिपन्नत्त
खाधस्वाग्रेन
छ्त्तेग
माहण
पा्
आरामगत
उवस्सगय
पथु पासन!
पेज
१२७४
श्र्५
श्श्ज्
प२५
प्रप
१२६
१२६
१२६
१२७
१२७
१२७
१२७
१२८
१२५८
पे२६८
१३०
१२३०
श्शृ
१३२
१३२
श्र
१३२
१३२
१३५
१३५
१३५
१६७५
१३५
१३६
१३६
पड़ि
User Reviews
No Reviews | Add Yours...