बीकानेर नरेश का संक्षिप्त जीवन चरित्र भाग - 1 | Bikaner Naresh Ka Sankshipt Jivan Charitr Bhag - 1

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Bikaner Naresh Ka Sankshipt Jivan Charitr Bhag - 1  by के॰ ऐम॰ पनिक्कर - K. M. Panikkar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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छाय जड़लघर बादशाह श्र पहले आप प्रारम्भ करें| आप का राज्य दिल्ली से दूर मरुस्थल में है ओर वहाँ आक्रमण करने का औरडजेब साहस नहीं करेगा | राजा करणसिंहजी इस बात से सहमत हो गये, प्रन्तु उन्होंने अन्य राजाओं पे यह प्रतिज्ञा कराई कि सब लोग एक बार उनकी जय बोलें ओर उनके सम्मुख मुजरा करें | सब राजाओं ने यह स्वीकार किया । राजा: करणसिंहजी गंदी परं पेठे ओर अन्य राजाओं ने उन्हें जय जड़लघर बादशाह” का सम्बोधन दे कर राजा करणसिंहजी का सम्मान किया और उनकी जय मनाई । इसके पश्चात्‌ राजा करणसिंहजी ते ओरहँज़ेब के दूत के सामने ज्ाव पर कुल्हाड़ा चलाया फिर अन्य राजा- ओ ने श्री सव नावों को नष्ट किया ओर अपने राज्य में सुरक्षित लौट आये ) जिस सेथ्यद ने राजा करणसिंहजी: को औरंगजेब के पड़यन्त्र का समाचार बताया था उसे - करंणसिंहजी ने बहुत पुरस्कार दिया और सदा के लिये. प्रत्येक घर पीछे एक पसे की लाग बांध दी जो आज तक उम्र सैय्यद के बंशजों को मिलती है । हे सुगृत्न साम्र/ज्य के पतन के वाद वीकानेर राज्य को कठिनाइयों का साथना करना पड़ा। परन्तु फ़िर भी अन्य निकटवर्ती राजाओ' की माँति यह कभी मरहठों के अधि- कार में न आया | उदयपुर, जयपुर तथा जोधपुर




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