बीकानेर नरेश का संक्षिप्त जीवन चरित्र भाग - 1 | Bikaner Naresh Ka Sankshipt Jivan Charitr Bhag - 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
106
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)छाय जड़लघर बादशाह श्र
पहले आप प्रारम्भ करें| आप का राज्य दिल्ली से दूर
मरुस्थल में है ओर वहाँ आक्रमण करने का औरडजेब
साहस नहीं करेगा | राजा करणसिंहजी इस बात से सहमत
हो गये, प्रन्तु उन्होंने अन्य राजाओं पे यह प्रतिज्ञा कराई
कि सब लोग एक बार उनकी जय बोलें ओर उनके सम्मुख
मुजरा करें | सब राजाओं ने यह स्वीकार किया । राजा:
करणसिंहजी गंदी परं पेठे ओर अन्य राजाओं ने उन्हें
जय जड़लघर बादशाह” का सम्बोधन दे कर राजा
करणसिंहजी का सम्मान किया और उनकी जय
मनाई । इसके पश्चात् राजा करणसिंहजी ते ओरहँज़ेब के
दूत के सामने ज्ाव पर कुल्हाड़ा चलाया फिर अन्य राजा-
ओ ने श्री सव नावों को नष्ट किया ओर अपने राज्य में
सुरक्षित लौट आये ) जिस सेथ्यद ने राजा करणसिंहजी:
को औरंगजेब के पड़यन्त्र का समाचार बताया था उसे -
करंणसिंहजी ने बहुत पुरस्कार दिया और सदा के लिये.
प्रत्येक घर पीछे एक पसे की लाग बांध दी जो आज तक
उम्र सैय्यद के बंशजों को मिलती है । हे
सुगृत्न साम्र/ज्य के पतन के वाद वीकानेर राज्य को
कठिनाइयों का साथना करना पड़ा। परन्तु फ़िर भी अन्य
निकटवर्ती राजाओ' की माँति यह कभी मरहठों के अधि-
कार में न आया | उदयपुर, जयपुर तथा जोधपुर
User Reviews
No Reviews | Add Yours...