दीर्घजीवन और आरोग्य भाग - 4 | Dhirghajivan Aur Arogya Bhag - 4

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Dhirghajivan Aur Arogya Bhag - 4 by श्रीपाद दामोदर सातवळेकर - Shripad Damodar Satwalekar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अथर्ववेदका सुबोध अनुवाद [ भाग चौथा | £ दीर्घमीवन और भारोग्य ? विषयानुक्रमणिका ' विपय भूमिका णका संरक्षण (का. १, सू. ४) प्राणका संरक्षण प्राणका झद्दत्व सत्यसे बलप्राप्ति आ्राणकी बूष्टि प्राणसूक्तका सारांश ऋग्वेदमें प्राणविषयक डपदेश असु-चीति यजुर्वेदमें प्रणविषपक डपदेश गायन भौर प्राणशक्ति प्राणकी प्रतिष्ठा सनक भौर प्राण प्राणदाता अप्नि प्राणके साथ हंद्वियोंक। विकास विश्वन्यापक भाण लडनेवाल प्राण सरस्वतीमें प्राण भोजन झौर प्राण - सददस्राक्ष भ्रप्ति अथवेवेदका प्राणविषयक डपदेश में विजयी हूँ पंचमुखी मद्दादेव आणका मीठा चाबुक अपनी स्वतंत्रता भौर पूणंता कै विषय प्राणकी सिन्नता समयकी अनुकूछता प्राणरक्षक ऋषि बद्धत्वका घन चोध और प्रतिबोध उद्नति ही तेरा मारे है यमके अपवोकी शिर अद्वाछोककी प्रात्ति देवोंका कोश प्रद्की नगरी अयोध्या नगरी अयोध्याका राम उपनिषदोंमें प्राणविद्या प्राणकी श्रेष्ठठा प्राण कद्टांसे आता है देवोंका धंमेंद प्राणस्तुति प्राणखूप क्षक्मि_ प्राणका प्रेरक अषगोंका रस प्राण कौर क्षन्‍्य शक्तियाँ पतंग चसु-रुदू-भादिदय तीन कोक




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