षटखंडागम भाग 12 | Satkhandagama Bhag 12

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Satkhandagama Bhag 12  by डॉ हीरालाल जैन - Dr. Hiralal Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ह डरे 93) १५७ १७० ८६ र्‌ श्पद्‌ २१० २३१ (४) १८ प्रथम असंख्यात- प्रथम संख्यात- र८ फिर प्रथक प्रथक्‌ फिर पूर्वमें प्रथक्‌ ३ थज्ना परुवणा थलपरूवर्णं प्रष्ठ १७६ के आगे १६६ से १७६ १७७ से १८४ प्रष्ठ तक पढ़िये तक के स्थानमें अर्सेंदिद्वीए संदिद्वीए ६ णवर्खडयाम- णवखंडायाम- ४ “एंदस्स एद्स्स ११ खेचं पादेदुण खत्तं [ पादेदण # “खंडायाम॑ तच्छंदण -खडायाम॑ खंच॑ ] तच्छदूण ७ ८ १६ अनन्त भागसे अधिक अनन्तभागबद्धि » असंख्यातवें भागसे अधिक असंख्यातभागबृद्धिका २७ असंझुयातवें भागसे अधिक असंख्यातभागबृद्धि » संख्यातवें भागसे अधिक... संख्यातभागघृ द्धि का २१ संख्यातवें भागसे अधिक. संख्यातभागबद्धि » सँख्यातगुणा अधिक संख्यातगुणबृद्धिका २७ संख्यातगुणा अधिक . संख्यातगुणवृद्धि » असंख्यातगुणा अधिक असंख्यातगुणइद्विका ३१ असंख्यातगुणा अधिक असंख्यातगुणब द्वि » अनन्तगुणा अधिक अनन्तगुणबड्धिका २२ जाकर संख्यात- जाकर ( १६--४ ) स झूयात- १ रुवेण कंदएण रूवेण एगकंदएण' १६ और काण्डक्‌ ओर एक काण्डक १ अशुष हिभावण अगुवाहिभावण' ७-पहवणासंपद्धा त्ति १ “परूवणा णासंबद्धा वि। २६ अनन्‍न्तभागबृद्धि -अनन्तगुणवबृद्धि रप८ प्रकार न होकर - प्रकार हीकर 1९: 4 संख्यातवृद्धिस्थान । संख्यातभ्चागवृद्धिस्थान पू कणि ह काणि ३३ भावविधान ११३-१४ इति पाठः 1 भावविधान २०४, २७ चरस ह त्रिचरस 8.0. १८ अधस्तन अष्टांकके -, अधस्तन ऊवकके २ एगं चेव तमेगं चेव




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