वनस्थली | Vanasthali
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24 MB
कुल पष्ठ :
427
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)धनस्थली
रहे आदि मध्यावसान में
चरण-कमल . का ध्यान 3
क्वणन, रणन-स्वन॒ पर वौणा के
हो मन-मृग का मान
ना-ब्रहा-स्वरूप। हो ता ,
े मेल, निगृण-रूप 3
_ ज्ञान-छटा बन प्रकृति दिखाती
व्क्य्क
शश्वत्ू नम्न-निमित सरस्वति
करती जी । का
करती
कक
आत्म-विनिर्मित विश्व-विपिन में
करती. स्वच्छ विहार
घट-घट में ही संव्यापक हो
देती प्रभां प्रसार ।
कक
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