प्राकृतानन्द | Prakritanand
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
107
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पण्डित रघुनाथ कवि - Pandit Raghunath Kavi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ १७ |
क्र. आक्वतानन्दस्प सूत्राणि सृत्राडूः
लाहल-लाज्रूल-लाज्ु लेपु वा णः ६८
4
२० लूृतः बलृप्त: इलि १६१
2६
र
>८
प्र
टर्
वे क््के च॒ ३६७
८
शकेस्तर-चश्न-ती रा: इे८प
><
><
2
76
पद-शावकसप्तपरणानां छः €&
><
है 2५
ए्ठा-ध्या-गार्ना-ठाञ-मा भ्र-गाश्राः ३६६
सर्वेज्नतुल्येषु भ्रस्य १०४
2५
1३
८
२१ सीकरे भः ७९
८
२५
हि
रे
८
हुंदानपृच्छानिर्धा रणेपु २६०
९
>५
हुन-ह्ल-हां घुनलमां स्थितिरूष्व म् १०८
या ७ चका+ एयर ओअलचछत कॉाॉओ,
क्र,
६७
च्८
६६
७१
३१
छ्र
७३
छ४
छ५
७६
9३
७९
प्र
फरे
परे
दा
प्र
प्
घछ
1
प्राकृतप्रकादहस्थ सूत्राणि
लाहले णः
लिहेलिज्फ
<
वर्गाणां तुतीयचतुर्थ यो र-
युजो रनाद्यो राद्यो
वाष्पेउश्र रिए हः
विश्ववेश्र श्रवधा रखो
6 विसिन्यां भः
9 बृहस्पती बहुभात्रो
वेक्वे च
व्यापृते ड:
दशकेस्तरव शअभ्रती रा:
शीकरे भः
आगालशब्दस्थ शिश्राला
शिश्राले शिक्रालका:
शेष महाराष्ट्रीवत्
शौरसेनी
षद्शावकसप्तपरणानां हः
षसोः: सः
ष्ट्सय्य सटः
पष्टाध्यागानांठ/श्रफाश्न भाशझा;
सर्वज्ञतुल्येघु ज
सर्वज्ञेज्ञितज्नयो्ण
सवंनाम्नां डे सित्वा
सिच
रे
स्तम्बे
स्थश्चिद्वुः
स्मरतेः सुमर
स्त्रियाभमित्थी
स्तस्थ सन
हुदानपृच्छानिर्धा रणेषु
हृदयस्य हितअ्रकम्
हृदयस्य हडक््क
सूत्राडू
२1४०
पा।द8
१०1४
३1१८
€। ३
२1श८
४1३०
पावर .,
१२४
८।9०
शार
११।१७
१२।१३२
१२1१
२।४१
११1३
१०1६
फारभध
३1५
श्राप
१२॥२६
8॥३ ७
२।१२
१९1१६
१२।1१७
१२२२
१०1७
९॥२
०[१४
1१६
हह्लेह्म पु नलमां स्थितिरूण्वंम ३।८
धब्शज्याजय वर #'च्च्क करन ।
कण . का कम
User Reviews
No Reviews | Add Yours...