ऐन्द्रस्तुतिचतुर्विंशतिका | Aindrastutichaturvinshatika

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Aindrastutichaturvinshatika by मुनि पुण्य विजय - Muni Punya Vijay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हि प्रस्तावना« ब#ऋ शोमेनमुदि गा ३» मेरेविजयगणि हे च् यशोविजयोएध्याय फ 4. ,,( बे ) अज्ञात # थी ३९ काब्य अगर छोकप्रमाण यमकाेकारमैथी रतुति- शअतुर्विशतिकाओ नीचे प्रमाणेनी भक्े छे.--- “मद्रकीर्रेंजेमलाशा फीर्तिस्ताराण्णाध्वना 1 प्रमा ताराधिपस्थेव श्वेताम्बरशिरोमणे ॥ ३२ ॥”? दिलकमजरी प ४ आमतु विशेष चरित्र जाणवानी इच्छावाणाए प्रभावकचरित्र उपदेशरश्ाकर आदि गो जोवा ६ न २ शोमनसुनि मशकवि धनप्रालना छछ ुमाश थाव । २ मेरुविजयगणि विजयपरेनद्रिना राज्यमां गया छे। पैंमना शर्त नारू आनेन्‍्दविगयंगणि इतु १ ३ आ चतुद्दिशतिवानी प्रारंभनी सात छ स्तुतिओ (२८ कीम्य ) ददादासहिं- नयी पूजा आदि जक्ोमां छपाई छे । प्रछ्छनी मझठी नहीं होय धम लगे छे। # आ पांच र॒विचतुर्विशविका सिदायदी ९६ काम्यममाण जशरिक गल्याण« सागरबरिकृत पण पके मंडे छे, परत ते यमकाण्फारमरी से होवादी पैनौ अं नो टीवी नंगी । ४ आ रतजुविभोमा २४ पथ प्रल्लेझ दोयकरनी रुतुतिरूप होय 3, अने त्रण पंथ असुकमे से मिनरतति शानखदि दया शासनाविष्ठासदेवगरी रतुविरूप ह, े दोरेक दी4करनी रतुतिना पथ साये जोडीने बोलवामां होगे के। फेटरीर चहुविद्यवेडामां २७ डरा बधारे पच ऐ ऐेठु कारण मात्र इरठ & छे के-ैही अयजापतय के आर्रकासगरी अत्द मदरत रद सलेन दर ते (मेरे? २६ शेर बधारे पथ. ऐ हेमा श्ाथदजिन, एौमपर भाई बिनोगी हयुवेदां पप पद सामेष्ठ छे एम जांघवु 1




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