अच्छी कहानियाँ | Achchhi Kahaniyan

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Achchhi Kahaniyan  by श्रीमती मायादेवी - Shrimati Mayadevi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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एकत्र कर लें और लिखते जायें। पहले वे चुपचाप अप्रने मित्रों ओर परिचितों के रेखा-चित्र खीचें, फिर उन्हें: बारवार पढ़ें ओर संशोधित करते जायँ । लिखते हुए उनकी सापा स्वस्थ, स्वाभाविक और पात्रानुरूप होनी चाहिए । हानी में चरित्र-चित्रण उपन्यास की अपेतज्ञा अधिक खुकोसल ओर संकेतात्मक होता है। जैसा कि सेमूर हेडन ने लिखा है--“कलमस का किंचित सा स्प्रशे गहरी रेखाएँ खींच देता है। यदिं वे सुसंयत अथवा सुविचारित होतो हैं तो चह कुशल कलाकार माना जाता हे अन्यथ। उसको कल्ला ए#6 कलंक: बन जातो है ।” कल्ला के किसी सी क्षेत्र में स्पशे का इतना बड़ा महत्त्व नहीं है । एक रेखा यदि संगत बेठी तो दस असंगत हो जाती हैं। इसके अतिरिक्त लेखक की अनुभव- समष्टि कहती की परिमित-परिधि में इतनी संकुछ ओर घनी- भूत होकर प्रकट होती है कि वह अपने पात्रों को जितना ही : संवेद्य और विश्वसनीय वना सके उतना ही अच्छा हे। - सूक्म-रेखाकार अपनी शलाका से जो चमत्कार उत्पन्न करता है बही कथा-लेखक अपनो लेखनी से कर दिखाता है-। रेखांकन कला रंगों की सूक्ष्मता में रमती है तो कहानीकार को बुद्धि और मस्तिष्क कुरेद कर जीवन-तत्त्वों के भीतर गहरा पंठला ' पड़ता है।. .... हमारी अंतरंग वृत्तियाँ ्वभावतः चेतन्य होने के कारण मानव-चेतना में ही अपने अस्तित्व की जाग्नत अनुभूति पातीः .. हूँ, स्वंमान्य सनोवैज्ञानिक सिद्धान्त के अलुतार मनुष्य की: हा




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