आत्महित सुगुणावली | Atmahit Sugunavali
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
158
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(१५)
अथ ८ चद्र॒प्रमजिनस्तवनम्
राग पीलू
होजी हो जिनद हां मोयतोी भरासो राग
चरनांसगे मोयतों आ० ॥ महासेनराजा तात त्रिंसलाद
राणी मात तेहनू तु अगजात स्वेत वरणेरों ॥ १॥
तुमहों त्रियुवन नाथ कीजे साथ दीजे हाथ
धरम परम संसार तिरणरों ॥ २॥ अरज करत
एक प्रभुगारी राखों टेक तुम दस्सन सुद्ध आतम
करणुरों ॥ ३ ॥ ते रहें आवीन लीन जलमे मग-
न मीन चेदस्वाम नाम धाम दुःखके टरनंगे ॥ ४ ॥
करम भरम काप शिव सुख मोय-साप गलावचद
आनंद शरणरोी | मो० ॥ ५ ॥ - ,
अथ ६ सुविधि जिन स्तवनम
राम मल्हार सारठ
प्रपयापाएं प्याज्ञारा दाण। न बाल प्रचाल
तारा हो जिनजी एसमार असार | आ० सग्रीच
नदन कुबुधि विहेंडन सुबावे सदा सुख कार। धनरा-
मात गंगी जननी जाया सुत सुख कार ॥ १॥
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