त्रैलोक्य दीपिका संग्रहणी हिन्दी भाषान्तर | Trailokya Deepika Sangrahni Hindi Bhashantar

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Book Image : त्रैलोक्य दीपिका संग्रहणी हिन्दी भाषान्तर  - Trailokya Deepika Sangrahni Hindi Bhashantar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जी ॥ ओर उत्तरे जलप्रभेद्र आठवीं दिशेक्ुमार निझाय में आमेत- गताद्र आर अपितवाहनेंद्र ७ २१ ॥ नव्बी वायुदुमार निकाय मे बलयद्र और भभननेद्र ओर ददारवी स्‍थनित कुमार निवाय पें दलिण घोपेस्द्र और उत्तर महायोपेन्द्र इन बीस इल्डों में से यदि जोड़े भी इन्द्र अपना सामथ्ये बतावे तो जबुद्रीप को छप्रा- कार और मरेझ पर्वत को ठढ करने को समय ह अर्थात्‌ मेर पर्वत को याये हाथ पर बरे तो भी उनके शरीर को झुछ परिश्रम मालूप न होने ऐमे ये सब इन्द्रो साम्पेत्रानू है ॥ २० ॥ अब पसुखुभारिक निक्राय की हक्षिण अणी की मुयन संसया कहते हैं - चञतीमा चउचत्ता । अइत्तीमाय चत्त पच- गह ॥ पन्ना चत्ता कमंस्ता। लक्खा भयशणशाणु दाहिएयो ॥ २३ ॥ भावाये “प्रथम जसुर कुमार ऊे चोत्तीस लाग भरुवन नाग फृपार के ४४ लाख, सुत्णेद॒मार के ३८ साख, पिय्युत्तमार े के, ऑग्निकृमार, दीपठृम्ार उदधिदृभार जोर दिशिवुमाग इन पाच निराय में चालीस राख बुबन २। और परनभार *ै पच्राम लाए हुदन ईँ और स्तनितदुघार के ४० शावे भवन ४६ 1 इति दक्षिण अणी की झुयन सम्ब्या ॥




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