वीर निर्वाण संवत और जैन काल - गणना | Veer Nirvan Samvat Aur Kal - Ganana
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
202
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ओ मुनि फल्याणविजय +
ऊपर कहा गया है कि चौढ लेखकों ने ऐसा लिसा द्दैकि
अजातशत्र पे आठवे वर्ष में भगवान् घुद्ध का निर्वाण हुआ ता अब
यह देखना चाहिए कि प्रजावशत्रु के राज्यकाल के साथ महावीर
निर्वाण का सबध भी जैन सूत्रों से सूचित द्वेता दै या महीं, और
यदि देता है ते। का |
लैनसूत्रों में लिखा दे कि श्रेणिक की शत्यु के बाद कूषिक प्रार
उसके भाई दत्त भर विदत्त का आपस में, चनक नामक हाथी को
मालिकी के बारे से, फराडा हुआ । तय इछ् और विहृद्य दाथी के।
लेकर श्रपने नाना राजा चेटक के पास चले गए। कूशिक ने अपने
भाइये फो दाथी के साथ वापिस भेज देने का सदेशा देऊर चेटक के
पास दूत भेजा, पर वैशालीपति ने मगधराज की प्रार्थना खीकत नहीं
की | परिणाम-स्वरूप कृणिक ने चेटक पर घावा बेल दिया श्रार
घमासान युद्ध करके वैशाली फो वरबाद कर दिया। इस युद्ध का
जैनसूत्र भगवती, निरयात्ीं आदि में “महाशित्ा कंटक” नाम
से वर्णन है? ।
अ्रव मद्दावीर कर गेशशालक के उस झगठे की ओर ध्यान दीजिए,
जिसका भगवती सूत्र के १५ वें शतक में वित्तत् वर्णन दिया है |
'गेशाज्क श्रावस्ती के उद्यान में ठप कर रद्दा है, उसी अवसर
पर मद्दावीर भी आ्रावस्ती के फोष्टक चैत्य में जाते हैं । उपदेश सुनने
के लिये सभा एकत्र द्वोती है और महावीर घर्मोपदेश फरवे हैं ।
उपदेश की सप्नाप्ति पर महद्दावीर के मुख्य शिष्य ईदभूति सैतम
गेशयालक की सर्वज्ञवा के सवध में मद्दावीर से प्रश्न करते हैं, जिपके
उत्तर में मद्दावीर गेशालक की सर्वज्ञवा का खुबभखुल्ला सठन करते हैं।
बाव गेशाज्षक फे काने तक पहुँचती है और वह अपने मिच्ुसघ के
३ भगपती सूत्र के ७ वें में उहेश में ५ रु
#प्राशिष्मा कंदक! दा का सर पक बा काजल
राशि मे। का वर्णन है। इन
सैग्रामा में कोणिक आर इसके सहायक बृजिक लेगों हे
का जय और चेटऊ तथा
उनके मददगार काशी कोश के गणराजाओं का पराजय हुआ धा।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...