सागर - मुद्रा | Sagar - Mudra

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Sagar - Mudra by अज्ञेय - Agyey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बालू-घड़ी तुम मेरी एक निजी घड़ी जिस में मैं तोक भर-भर समय पूरता हूँ और वह वादू हो कर रीत जाता है 1 जिम बालू को मैं फिर बटोरता है किम के पैरों की छाप है इस बालू पर जिसे ताकते-ताकले भेरा सारा चेतन जीवन बीत जाता है? और मैं फिर अपने को पाने के लिए तुम्हें अगोरता हूं । सामरनमुद्दा उठे.




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