पद्मपुराण | Padam Puran Part -2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
34 MB
कुल पष्ठ :
496
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सप्तपश्टितमं पे
स्वदूतवचन श्रुत्वा रात्लानाम बीरचरः । क्षण सन्मन्त्रणं कृत्वा सन्त्रज्ञः सह मन्त्रिमिः ॥३॥
कृत्वा पाणितले गण्ड कुण्डलालोकभासुरम । अधोमुख- स्थितः किल्चिदिति चिन्तामुपागतः ॥२॥
नाग्रेन्द्रवृन्दस डे युद्धे शज्नु जयामि चेत् । तथा सति कुमसाराणां प्रमादः परिच्श्यते ॥३॥
सुप्ते शन्नुबले दत्वा समास्कन्दमवेटित' । आनयामि कुमारान् कि कि करोमि कथ शिवम् ॥४॥
इति चिन्तयतस्तस्य मागधेश्वरशेमुपी | इय समुदुगता जातो यया सुखितमानसः ॥७॥
लाधयामि महाविद्यां बहुरूपामिति श्रुताम् । प्रतिब्यूहितुमुद्युक्तरशक्यां त्रिदशरपि ॥६॥
इति ध्यात्वा समाहूय किह्लरानशिपद् ह्ुतम्् । कुरुध्व शान्तिगेहस्य शोभां सत्तोरणादिभमिः ॥७॥
पूजा च स्बचेत्येपु स्बंसस्कारयोगिपु | सवश्वाय भरो न्यस्तो मन्दोदर्या सुचेतसि ॥८ा॥।
विशस्य देवदेवस्य वन्दितस्य सुरासुरेः । मुनिसुत्रतनाथस्य तस्मिन् काले महोदये ॥8॥
सर्वत्र भरतक्षेत्रे सुविस्तोणं सहायते । अहच्चेत्येरिय पुण्येवेसुधा55सीदुकूडकृता ॥३०॥
राष्ट्राधिपतिभिभ पैः श्रेष्टिभि्नासभोगिनिः । उत्थापितास्तदा जैनाः प्रासादाः पएथशुतेजस' ॥११॥
अधिष्टिता रुश भक्तियुक्ते' शासनदैवतैः । सदमंपक्षसरक्षाप्रवणेः शुभकारि भिः ॥१२॥
सदा जनपढदेः स्फीतै' कृतामिपवपूजना' । रेजुः स्वर्ग विमानाभा भव्यछोकनिपेविताः |1१३॥
प्वते पव॑ते चारो ग्रामे आमे बने वने । पत्तने पत्तने राजन हम्य हस्ये पुरे पुरे ॥१४॥।
अथानन्तर राक्षसोका अधीश्वर रावण अपने दूतके वचन सुनकर क्षणभर सन्त्रके
जानकार सन्त्रियोंके साथ मन्त्रणा करता रहा। तदनन्तर कुण्डलोके आलछोकसे देदीप्यमान
गण्डस्थछको हथेली पर रख अधोमुख बठ इस प्रकार चिन्ता करने छगा कि ॥१-९॥ यदि
हस्तिसमूहके संघट्टसे युक्त युद्धमें शत्रुओको जीतता हैँ तो ऐसा करनेसे कुमारोकी हानि दिखाई
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