शारीरिक विमर्श | Sharirik Vimarsh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
730 KB
कुल पष्ठ :
41
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(६)
अयान्तर भेद (भगु, अद्विरा आदि) का स्पष्टीशुरण है। हमारे शरीर फी तरद
ईश्वर शरीर में मास, अस्थि आदि क्या हद ? उनके स्थूल, सूइम, फारण शरीर
क्या बसु है ? उनके शरीर में अक्षर पुरुष की क्लाओ का समायेश किस प्रकार
है पश्चमहाभूते। मे कम से अक्षरों को कैसी कैमो प्रधानता है) ईश्पर शरीर
मे पद्चफ़ेश कौन से हैं ? वेद क्या बसु है ? उसके भेद ऋणू , यजु , साम फ्या है ?
अथये क्या हे ? अक्तर, चर और अश्ृत, मृत्यु क्या हैँ ? ऋत और सत्य क्या वस्तु
हैं ! आधिका रेफ ईश्पर कौन दे अग्मा वेदसय मूर्ति क्ये। क्या जाता है? विपणु
को समुद्रशायी किस आधार पर कहते हैं ! प्रश्वी, सूर्य आदि के भिन्न भिन्न आठ-
आठ उपसर्ग, तीन भूगु ओर तीन अद्विरा का स्मरूप प्रह्मा फे मानसपुत्र भूगु,
अद्विरा प्रजापति को चार सत्था, इन्द्र ओर वम्श फी प्रधानता का वियाद।
सुदर्शन चक्र का निरूपण, भागे पुन अझ्या, ज्िप्णु, मह्ादित या विशद निरूपण,
तेतीस देवताओं मे भद्ादेव की विचिय् प्रकार से व्याप्ति दक्षिणा मूर्ति शिव की
उपासना का प्रिचित्र रहस्य, अश्वत्थ का निरूपण, प्रत्यक्ष ईश्वर रूप अश्वत्य
को बताना इत्यादि शवश ज्ञातव्य विषय इस प्रकरण में आये ६ । इसका
अधिक भाग श्लोकबद्ध है, किन्तु सध्य मध्य मे नक़रो देकर विपयो को रपष्ट
समझाया गया है। इस एक प्रकरण के सनन से बेढ का रहस्य करतलामलकप्रत्
हो सकता है।
१६-पोडरा प्रकरण--नीवात्माप्रतिपत्ति ( प्र० १८७- ८६४५ ) से एक ही चित के
चिद्धन, चिद्श, चिद्राभास नाम से तीन भेद दिखाकर चिद्राभास को जीव कहा
गया है। चिदात्मा और कर्मौत्मा का विस्पष्ट निरुपण हे। जीव ईश्वर के भेदा
भेद् का सप्ररर विचेचन है. । वेदान्त शास्त्र वे मुप्रसिद्ध अवच्छेदबाद और प्रति
बिम्बवाद का स्वरूप खूब समझाया गया है.। साम्त्य आऔर चेदान्त मे क्यों भेद
पड़ गया--इसका कारण बताते हुए बेदान्त के अद्वेतवाद का सुन्दर निरूपण
है। यह छोटा सा प्रकरण बहुत काम का ई । अन्त मे कर्मोत्मा के भेदों का
निरूपण करते हुए मजुस्म॒ति के ढादशाध्याय के श्लोकों का तात्पये बताया गया
है, जिसे देसफर आश्चर्य होता दे कि टीकाकार कैसी श्रान्ति मे रहे | शरीर भे
पॉच देवताश्ं का कर्तृत्व बताया गया है, एवं ज्ञान ओर कमे दोनो की आब
प्यकता सष्ट पी है । अन्त से अति सक्तेप में गुणतयरहस्थ कहते हुए शारीरक
बिमश की समाप्ति घोषित की है |
इस प्रकार यह्
शारीरकविमर्श! सब शास्त्रों का निचोड और वेद के रहस्य
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