मानसोल्लास एक सांस्कृतिक अध्ययन | Manasollas Ek Sanskritik Adhyayan

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Manasollas Ek Sanskritik Adhyayan by शिवशेखर मिश्र - Shivashekhar Mishr

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१० मानसोल्लास एक अध्ययन एवसेन शम याति बीजगर्भसमुद्धवम । कुछ सस्कार आ य।प्मिक तथा सास्कृतिक महत्व रखते हैं यथा उपनय्न | उपनयन सस्कार द्वारा वेटिक अध्ययन के लिए द्वार सुर जाता है ओर कुछ विशेष अधिकार प्राप्त हो जाते है, यय्रपि साथ हो साथ कुछ विशेष कतंव्यो का भी पालन करना पडता है। नामकरण, अन्नप्राशन आदि कुछ ऐसे संस्कार है जिनफे द्वारा पारस्परिक प्रेमप्रदशन तथा उत्सवादि करने का अवसर प्राप्त होता है। अन्त में विवाह द्वारा दो व्यक्तियों का मिलन होता है जिससे समाज का विकास होता है। महाराज सोमेश्वर ने सस्फारों को शाब्रोक्त विधान के साथ साथ उत्सवादि के साथ मनाने का उल्लेस किया है। यद्यवि उन उत्सवादि का सम्बन्ध राजजीवन से है किन्तु राजजीवन का कुछ अश तो जनजीवन में होता ही है । उन उत्सपों को प्रत्येक व्यक्ति यथासाध्य मना सकता है। अन्तर केवल मात्रा का हो सऊता है। राजा यढि पुत्रोलत्ति के अवसर पर रत्न हीरकादि छुटा सकता हैं तो नियन व्यक्ति भी यथाशक्ति अपनी अल्य धनराशि से अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकता है। इसके अतिरिक्त पुत्र फे जन्म पर पिता को तो आनन्द होता ही है, साथ ही वह समाज का एक अग बन जाता है। अत समाज को मी उसके जन्म पर उतना ही आनन्द होता है। इसी कारण विता अपने सम्बन्धियो, मित्रों, पास-पडोस के छोगो को एकत्र करके उत्सव मनाता है और समाज नवागन्तुक पुत्र को समाज के सदस्य फे रूप में स्वीकार करता है। इस प्रकार सोमेश्वर ने सम्कारा के निरूपण में शास्त्र और लोकाचार दोनो का सामजस्य स्थापित किया है| सस्कारों यो सख्या महाराज सोमेद्वर ने सस्कारों के विषय से कोई निश्चित सख्या नहीं दी है किन्तु मानसोल्छास ऊे पुत्नोपभोग प्रकरण में निम्नलिखित सस्कारों का उल्लेख किया है -- गर्भाधान, पुस्त्रन, सीमन्तोन्नयन, जातकम, नामकरण, अन्नप्राशन, कर्णवेध, चूडाकरण, मौज्ञीबन्ध अथवा त्तबन्ध, विद्यारम्म, गोदान, समाबतन तथा विवाद | सस्कारों की सख्या के विषय में धर्मग्रन्थों में बडा मतभेद है। इनकी सरया ९ या १० से लेकर ४० अथवा उससे भी अधिक मिलती है। इनमे से आठ सस्कार ऐसे हैं जो छगमग सभी में मिछते हैं। वे इस प्रकार हैं-- १ याज्षवल्क्यस्मति १।१३॥




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