पथ्यास्वस्ति | Pathyaswasti

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Pathyaswasti by मधुसूदन शर्मा - Madhusoon Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इसी सदभ में ऐतरेय-ब्राह्मण पथ्या-शब्द का प्रयोग अदिति के लिये करता है ओर आदित्य को उसका अनुसचरण करने वाला कहता हैः-- यत्यथ्यां (अदिति) यजति तस्मादसौ (आझ्रादित्य.) पुर उदेति पश्चाअस्तमेति, पथ्या ह्येषोह्नुसचरति । | (ऐ० वब्ा० कै ७) ग्रत इस दिश्या मे गवेषणा द्वारा अध्यात्म-तत्त्व पर पर्याप्त सामग्री मिल सकती है । यद्यपि इस मीमांसा से प्रस्तुत ग्रन्थ के विषय का कोई प्रत्यक्ष सम्बन्ध नही | है, परन्तु इसके द्वारा वेदिक-वाडमय के महत्वपूर्ण स्थलों पर प्रकाश पड़ सकता है। अ्रतः श्राशा है यह मीमासा हमारी “'च्रेमासिक स्वाहा मे यथाश्षीघत्र प्रारंभ की जायेगी और विद्वान सपादक के अतिरिक्त स्वर्गीय मघुसूदनजी के अन्य शिष्य भी उसमे भाग लेगे तो उनका स्वागत किया जायेगा । अन्त में विद्वान संपादक को मैं हादिक धन्यवाद अर्पित करता हूँ । हमारे सपादन-विभाग के अध्यक्ष श्री लक्ष्मीनारायण गोस्वामी ने इस ग्रन्थ के लिए जो श्रम किया है उसके लिए मैं उनका आाभारी हूँ । फात्गुन शुबला ८5, सं० २०२५ जोधपुर. --फततहासिह




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