केशवदास : जीवनी, कला और कृतित्व | Kesavdas Jivani,klla Our Krtitva
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
205 MB
कुल पष्ठ :
604
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पहला भ्रभ्याय
विभिन्न परिस्थितियों का कंशव पर प्रमाव
किधी साहित्पकार कौ कृतियों के उचित मूस्योंकन के सिए थह नितास्त
ध्रपेश्षणौय है कि उसके युप्र का सम्यड ज्ञान हो बर्योहि साहिस्पकार प्रपने युम का
जआापक हवांठा है प्रौर उसकी हृतियाँ मी एक बविशिप्ट परिस्यिति की क्रिया भौर प्रति
किया का फल्त होती हैं। एच० ए० टैस महोदय घपने प्रंप्रश्ी प्राहित्य के इतिहास मैं
छिद्ते हैं हि कोई साहित्यिक रचना केबल स्यक्षिगत कस्परा रा खेस ही नहीं होती
श्रौर न उत्तेजित मन का एकाम्त बिनास ही होती है, बरत् समसामगिक प्राचारादि
का भ्रनुसेश एव एक विशेष मालसिक प्रजस्वा का प्रतिस्य होती है । टैस महोरय
की यह उक्तित संबाप है प्रौर इसको प्पान में रखते हुए हमें घ्राचाय केसबदाप्त का
प्रध्यपत करसा चाहिए | साहि(पकार पर धमकाप्तीन युय हौ का नहीं प्रपिषु पृर्ती
मुय का भी प्रभाव पड़टा है। सतएव कैशबदास के काम्प का गिवेचस करने के पूर्व
इनकी पृथदर्ती सभा समकालीम राजनेतिक सामाजिक बार्मिक एब.।. साहित्पिक
थरिष्षिद्ियों का दिष्दर्शत कराता प्रावप्यक है ।
राजनेदिरू परिस्यिति
मार में मुगल साम्रास्प के बीयारोपर्प के पूव दिस्सी का साम्राम्य नष्ट
अ्रप्ट हो चुका था बड़े-बड़े प्रास्तों में प्रलग-प्रसय राया विद्यमान वे छोटे-छोटे किसे
वहाँ ठक कि प्रत्येक सगर मा दुग का स्वामित्व बड़े-बड़े सरदारों या ब्णों के हाथ में
था जिनके स्सर भस्य कोईँ प्रधिकारी न था। मद छोटे-छोटे राजामों मुप्ूक-प्रत-
तर्बफ़ प्रमगा कायतारी प्रध्रिकारियों का समय पा | इन दिनों हिन्दू पौर मुसलमास
राम्पों के सदा परस्पर मुद्ध चलते खूते थे | एक साहसौ ता प्रतिवध्धासी बिदेणी
आजमस्सकारी के सिए यह एक सुन्दर प्रबसर था। फपत' मारठ में बाबर का पदार्पए
हैप्रा । इस देश में प्रपने पैर पूर्णता जमाने के सिए बाबर को राणा साँया बसे
राजपूत बीरों का सामना बरमा पड़ा | उनको पराणित करने में उसे म णाते हितते बीरों
का अलिदान करना पड़ा | डिस्तु खाब ही साय राजपूर्तों के घात्म-सम्माव शौर उनकी
सत्परठा एवं बीरता वी धार उसके हरय मैं बमे बिना त रह सक्री । बाबर प्रपतै
डद्देष्प मैं सफर रहा। भाग्य मैं ब्सका साथ दिया। प्रागे बसकर हुमायूं को भी
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