उत्सव का निर्मम समय | Utsav Ka Nirmam Samay

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Utsav Ka Nirmam Samay by नन्द चतुर्वेदी - Nand Chaturvedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तरतीब से रखता हुआ इस तरह मैं विचार करता बचता रहा वह बुरा आदमी नहीं है शायद वह बुरा भी हो लैकिन बुरा तो हो ही सकता है अगर आदमी है उसके धनवान होने के सम्बन्ध में मैं सोचता रहा परिश्रम से ही मिला होगा उसे वह घन न भी किया हो परिश्रम बुद्धि होगी न भी हो बुद्धि भाग्य होगा। न कुछ हो और धन हो दिया हुआ या अर्जित तब भी मैं अपने सम्बन्ध में सोचता हूँ। उससे मिलाकर अर्जित करने के सम्बन्ध में भाग्य के सम्बन्ध में, बुद्धि के सम्बन्ध में परिश्रम के और कर्मफल के सम्बन्ध में उसका मेरा सम्बन्ध निराशा और मायूसी के उत्सव का निर्मम समय £ 25




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