नदी नहीं थकती | Nadi Nahi Thakati

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Nadi Nahi Thakati by गौरीशंकर मधुकर - Gaurishankar Madhukar

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about गौरीशंकर मधुकर - Gaurishankar Madhukar

Add Infomation AboutGaurishankar Madhukar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
गर्क रहता है और खोटे धंधे दिन दहाडे करता है वह आपसे भी तो कहाँ डरता है? उसमें न धरम बचा है, न ईमान धरती पर वह घूम रहा है बनकर हैवान उपकार के बदले जी देता है अपकार ऐसे कृतध्न की: कोख मुझे हर्णिज नहीं चाहिए मेरे कृपालु। मुझे जैसे आजन्म मेहनती को जो गधा कहकर गाली देता है उसे खुद को आदमी कहते शर्म तक नहीं आती भोलेनाथ! है औढरदानी! अगले जमम में मेरी किस्मत में आप चाहे जो लेख लिखें-लिखाएँ पर बराये-मेहरबानी मुझे आदमी हर्णिज न बनाएँ। नदी नहीं यकती/27




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now