श्रीमद्भगवदगीता | Shrimadbhagavadgeeta

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Shrimadbhagavadgeeta by मोटे अक्षरवाली - Mote Akshar Wali

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He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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२२ श्रीमद्ध गवद्गीता अपर्याप्त तदस्माकं बल भीष्मामिरक्षितम्‌ । पर्याप्तं त्िदमेतेषां बल भीमाभिरक्षितम्‌ ॥१०॥ ओर भीष्मपितामहद्वारा रक्षित हमारी वह सेना सब प्रकारसे अजेय है ओर भीमद्वारा रक्षित इन लोगोंकी यह सेना जीतनेमें सुगम है ॥ १० ॥ अयनेषु च सर्वेषु यथाभागमवस्थिताः । भीष्ममेवामिरक्षन्तु मवन्‍्तः सर्व एवं हि ॥११॥ इसलिये सब मार्चॉपर अपनी अपनी जगह स्थित रहते हुए आप लोग सबके सब ही निःसन्देह भीष्मपितामहकी ही सब ऋरसे रक्षा करें॥ ११ ॥ तस्य संजनयन्ह्ष कुरुवृढ्ः पितामहः । सिहनादं विनयोच्चेः शा द्मो प्रतापवान्‌॥ १ २॥ इस प्रकार द्रोणाचायेले कहते हुए दुर्योधनके वचनोंको सुनकर कोरवोंमें वृद्ध बड़े प्रतापी पितामह भीष्मने उस दु्योधनके हृदयमें हर्ष उत्पन्न करते हुए उच्चखरसे सिहको नादके समान गजेकर शहु बजाया ॥ १२॥




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