श्रीमद्भगवदगीता | Shrimadbhagavadgeeta
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
330
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२२ श्रीमद्ध गवद्गीता
अपर्याप्त तदस्माकं बल भीष्मामिरक्षितम् ।
पर्याप्तं त्िदमेतेषां बल भीमाभिरक्षितम् ॥१०॥
ओर भीष्मपितामहद्वारा रक्षित हमारी वह सेना
सब प्रकारसे अजेय है ओर भीमद्वारा रक्षित इन
लोगोंकी यह सेना जीतनेमें सुगम है ॥ १० ॥
अयनेषु च सर्वेषु यथाभागमवस्थिताः ।
भीष्ममेवामिरक्षन्तु मवन््तः सर्व एवं हि ॥११॥
इसलिये सब मार्चॉपर अपनी अपनी जगह
स्थित रहते हुए आप लोग सबके सब ही निःसन्देह
भीष्मपितामहकी ही सब ऋरसे रक्षा करें॥ ११ ॥
तस्य संजनयन्ह्ष कुरुवृढ्ः पितामहः ।
सिहनादं विनयोच्चेः शा द्मो प्रतापवान्॥ १ २॥
इस प्रकार द्रोणाचायेले कहते हुए दुर्योधनके
वचनोंको सुनकर कोरवोंमें वृद्ध बड़े प्रतापी
पितामह भीष्मने उस दु्योधनके हृदयमें हर्ष उत्पन्न
करते हुए उच्चखरसे सिहको नादके समान गजेकर
शहु बजाया ॥ १२॥
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