षटखंडागम | Shatkhandagam

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Shatkhandagam by हीरालाल जैन - Heeralal Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चट 2 ^ @ < न ११ ११ १९ १४ १५ १६ १७ १८ १९ विपर्यसूची १५ एक सूक्म जीयफी अपेक्षा दूसरे सुश्म जीयकी, सूकम जीयकी अपेक्षा वादर जीयफी तया वाद्‌ जीपी अपेक्षा सदन जीयरी अयगादना सम्द धी.सुगावारपिशेषाका उच्येख । सच्छिदारा अपगाइनामेदोंफि स्वामियोका निर्देश । ७१ ६ वेदनाकारविधान बेदनाकाठप्रिधानमें ज्ञातन्य ३ अनुयोगद्वारोका उस्लेगव करते हुए काठके ७ मूल- मेदो उन्टेख करते इए वाचके ७ मूलभेदौ एव उत्तर मेदोग स्वन्य । ७५ पदमीमासा आदि उक्त ३े अलुयोगद्वारोंका नामोल्लेख ७७ ( पदमीमासा ) पदमीमामामे वाटी अपेश्ता ज्ञानायरणीयतरेदना सम्बधी उत्दप्टअनुह्ट आदि १३ प्दोंकी प्ररखणा ७८ शेप ७ वर्मोकी काख्वेदनाकि उक्त १३ पर्दोगा पिचार ८५ (स््ामित्र ) स्वामियके जब य उ उक्ष पदमिपयङ २ मेदोरा निर्दा जघन्यो पिषयमै नामादि निक्ष्ोकी योजना ५ उ्ृष्ट विपयम नामादि निमेपोंगी योजना ८६ काख्यी अपे ता उक जञानापरणीयरेदनके स्वामीकी प्रया ८८ काली अपभा अनिर मेदोमिं पिभक्त अनुरषट जञानापरणीयतेदनक स्ामियोगी प्रस्पणा ९ प्रम्यणा आदि ६ अनुयोगढमरोमेः दरार उक्त अनुद स्यानपिर््योकः स्वामिरयोरी प्ररूपणा 1 १०८ झानायरणीयक ही समान देष ६ करमौकी मी उद्टृष्ट अनुकृष्ट वेदना उतगकर्‌ आयु कर्मी उरुष्ट काठ्येदनके स्वामीरा निरूपण । ११२ फाटङी अक्षा अयु करम सम्बधी अनुकृष्ट वेदनावी प्रूपणा | ११६ वाटकी अक्षा जघन्य ज्ञानापरणीयत्रेदनाके स्वामीका निवेचन । ११८ काकी अपिश्ना अनघन्य ज्ञानापरणीयवेदनाके स्वामिमेरदोरी प्र पणा । १९० द्नामरणीय जीर अ तराय सम्बधी जघन्य व अजय य बेदनार्ओी ज्ञानापरणसे समानताका उव | द्‌ पटरी अपेभा जघन्य वेदमीयरेदनासि स्वामीका निर्देश । # बेदनीयकरी अजघन्य वेदना स्वामीफी प्रस्पणा { १६६ आधु, नाम ओर्‌ गोम सम्बधी जघन्य अजपन्य काट्वेदनाओरी वेदनीयवेदनासे समानतारा उल्लेख । १३४ ठगी अपेला जघन्य य अतधन्य सोहनायतेदनाओंकि स्वामियोका उत्छेय ११५ (अखगदुव }




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