सुन्दरी सर्वस्व | Sundari Sarvasv
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
300
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्रीमन्महाराज द्विजराज - Shrimanmaharaj Dvijaraj
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)व
॥ कप्नोलबणन ।
नहिजानियेकोनेविरंचिरचे . समताकहसालखनगोलन
को | किसिछालकेट्प नकोरों करों सुखलाइनकेसनतोलनक
बाक्षलापतिदे खिछकेसे रे झुधिवेंकुरहोबह्िवोलनको | तव
केंसेकेमा खिलकैंडपला अनसोलयेगोलकपोलनको ॥ १ (कैल
रिकेसनेच-दकेबोच रचेसनोलालशुलालचुनो गन । योंडजरा
'इदपिराईललाई सलाईहकेनसुलाइलो डे तन | लोनेसलोने से सो '
'नैश्वेलो सित होनेनओमसेविधातहुकेघन । वोलतनाहिनेडोलतल
लाल सुगोलकपोलनंभोखलयोमन [४)॥ नैनगडेंतो गड़' उनसे
छबिमेनकेवाननकीसरसातिहें । जोकुचक्योरकठोरगरे तो
गड़ोबहतोकठिनेदिनरातिहें । वेश्चलवेलेत हु अलवे लो जि-
नह सुखभोरइतेसुसकातिह । कौनअच॑मोकर्ों यहताके क-
पोलकोगाडहियेगड़ित्राति हे ॥ ३॥ को रे हिये हगको रहो रा
वर कासोंकहौंकोउडोतनआ ड़े । लेलखरोहलेटेटियेजों हैं
| रहैंडलसेनितरारिसेसाड़े। काडेकोंकाहकोंदेजेजराइनो
आब दहाइहसआपनोचाडे पपलसेसुसक्रांजतम हसेलखेतोडे'
सोलकपो लकोगाड़ ।। 8॥ |
(| लतिलबणशन ॥
रूपको रा सिसके रसराजको अंकुरआनिक्णेसुभहो ना
कंससिनतसग्रासकियो तिह्रिकोरजआओो सेसदिखातसेकोना।
प्यारोकेगोलकपोलनपे दिजरालिरजोतिलस्थाससलोंना ।
कसधुपानपतदञ्मोअणमसस्स किधोंअराबिंदस लिंदकोछोना ॥ १॥
लखोआजअचानकद टुसुखो चंजोसासुदेआवलिहोकढ़िक
User Reviews
No Reviews | Add Yours...