सुन्दरी सर्वस्व | Sundari Sarvasv

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Sundari Sarvasv by श्रीमन्महाराज द्विजराज - Shrimanmaharaj Dvijaraj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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व ॥ कप्नोलबणन । नहिजानियेकोनेविरंचिरचे . समताकहसालखनगोलन को | किसिछालकेट्प नकोरों करों सुखलाइनकेसनतोलनक बाक्षलापतिदे खिछकेसे रे झुधिवेंकुरहोबह्िवोलनको | तव केंसेकेमा खिलकैंडपला अनसोलयेगोलकपोलनको ॥ १ (कैल रिकेसनेच-दकेबोच रचेसनोलालशुलालचुनो गन । योंडजरा 'इदपिराईललाई सलाईहकेनसुलाइलो डे तन | लोनेसलोने से सो ' 'नैश्वेलो सित होनेनओमसेविधातहुकेघन । वोलतनाहिनेडोलतल लाल सुगोलकपोलनंभोखलयोमन [४)॥ नैनगडेंतो गड़' उनसे छबिमेनकेवाननकीसरसातिहें । जोकुचक्योरकठोरगरे तो गड़ोबहतोकठिनेदिनरातिहें । वेश्चलवेलेत हु अलवे लो जि- नह सुखभोरइतेसुसकातिह । कौनअच॑मोकर्ों यहताके क- पोलकोगाडहियेगड़ित्राति हे ॥ ३॥ को रे हिये हगको रहो रा वर कासोंकहौंकोउडोतनआ ड़े । लेलखरोहलेटेटियेजों हैं | रहैंडलसेनितरारिसेसाड़े। काडेकोंकाहकोंदेजेजराइनो आब दहाइहसआपनोचाडे पपलसेसुसक्रांजतम हसेलखेतोडे' सोलकपो लकोगाड़ ।। 8॥ | (| लतिलबणशन ॥ रूपको रा सिसके रसराजको अंकुरआनिक्णेसुभहो ना कंससिनतसग्रासकियो तिह्रिकोरजआओो सेसदिखातसेकोना। प्यारोकेगोलकपोलनपे दिजरालिरजोतिलस्थाससलोंना । कसधुपानपतदञ्मोअणमसस्स किधोंअराबिंदस लिंदकोछोना ॥ १॥ लखोआजअचानकद टुसुखो चंजोसासुदेआवलिहोकढ़िक




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