अष्टादश पुराण दर्पण | Astadasa Purana Darpana
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
57 MB
कुल पष्ठ :
438
श्रेणी :
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No Information available about पं ज्वालाप्रसाद जी मिश्र - Pt. Jwalaprasad Jee Mishra
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उपोद्गधात । (११ )
पुगणं नवसाहस माकंण्डेयमिहोच्यते ॥ २६ ॥
वरिष्ठायाग्मिना प्रोक्तमामेयं तत्प्रचक्षत ॥ २८॥ «
अथोव जो बह्लाने मरीचिसे कहा है वह३३० ० “बाह्मपुराण है॥ १३॥
प्राशरने वाराहकल्पका वृत्तान्त संग्रह कर जो धर्मवणन किये हैं वह विष्णुपु-
राण है ॥१६॥ श्रेतकल्पके प्रसंग जो वायुने रुद्का माहात्म्य वर्णन किया
है वह वायुपुराण है॥१८॥ जिसमें नारदजीने अनेक धर्म वर्णन किये हैं।
बहत्कल्पका आश्रय करके वह २०० ०० श्ठोकका नारदपुराण है॥२३॥
मार्कण्डेय कथित मार्कण्डेय पुराण ९००० श्लोकमें है॥ २६ ॥ वशिष्ठके
प्रति अभिका कहा हुआ अग्निपुराण है इसी प्रकार इस पुराणम अधघोर
कल्पका बल्लाका आदित्यके प्रति कहा हुआ भविष्य, रथन्तरकल्पका
सावर्णिकथित बह्मवेवत महेश्वरकथित छिग आदि प्राणोंका वर्णन किया
गया है जो विस्तारंस ५३ अध्यायम लिखा है इसी -अध्यायके ३ श्लोक
तथा बअह्माण्डपुराण॑म मी इस प्रकार छिखा है कि-
पुराणं सवशाश्नाणां प्रथम ब्रह्मणा स्पृतम् ॥
अनन्तरं च वक्रेभ्यो वेदास्तस्य विनिगताः ॥
बह्लाजीने सब शाद्धासे प्रथम पुराण प्रगट किये; पीछे उनके मुखसे
वेद प्रगट हुए. ढ
अब यह मलीमांवि विदित होगया के, पुराण अनादि काढछके ह
और बह्माजीने सबसे प्रथम इनको प्रगट किया है। उनसे मुनियोने सुना
ओर प्रत्येक कल्पमे उन उन देवता ऋषिमुनियोंने पृथक् * उनकी संहिता
निर्माण की हैं जब कि भिन्न २ ऋषिमुनियोने मिन्न कल्पोम पुराण सेहिता
निर्माण की हैं ओर व्यासजीन उन्हीं ऋषिमुनियोफे वाक्योका संक्षेप
करके ऋषिमुनियोका मत जेंसेका तैसा रहने दिया है तथा कहीं प्रसंग
मिलानेकी अपनी रचनाभी की है तब यह पुराण एक लेखनीके निगत
किस प्रकार कहे जासकते हैं और मिन्न २ कल्पाके धमें तथा कथानक
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