शाग्र्डंघर संहिता | Shankadhar Sanhita
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
30 MB
कुल पष्ठ :
768
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( २)
कि इस की घर्म पुस्तकों में मी आयुर्वेद के वैशानिक वर्थ्यों का निर्देश है ।
ब्राह्मण ग्रन्थों के वाद आयुर्वेद ने “पृथक स्वतन्त्र शास्र का रूप
धारण कर लिया | इस के लिये चरक (चिकित्सा ध्ध्याय १) म एक
उद्धरण मिलता है जिस से यह स्पष्ट रूप से विदित दाता है कि जब
भारतवर्ष में आमो और नगरो की वस्तियां बसने लगी ओर लोग तपो- ।
वनों और हिमालय के शुद्ध श्रश्रमपदों का छोड़कर सांसारिक उ्यवद्दार
के लिये ग्राम तथा नगर दसा कर रहने लग, तो श्राम-वास-दोपीत्पन्न
नाना प्रकार की नई व्याधिया उत्पन्न हो गई जिन्हाने उस समय की
जनता को भयभीत कर दिया | उस के लिये हिमालय के एक सुन्दर
रक््य प्रदेश में ऋषियों की एक बढ़ी भारी सभा हुई जिस में यह निर्शय
किया गया कि कुछ लोग शआयुर्वेद के अध्ययन में विशप रूप से संलज
हो और इस विद्या को सीख कर थे आगे इस का प्रयार करें जिस से
स्वास्थ्य शास्त्र और चिकित्सा शास्त्र के उपाय सब फो चिदित हो और
रोगों से मुक्ति प्राप्त की ज्ञा सके । इस कार्य के लिये भरहाज ने सब
- से पहले अपने आप की पेश किया | उस ने इस सम्बन्ध में इन्द्र से सच
कुछ पढ़ा ओर फिर अपन शिष्यों को पढ़ाया । शिष्या भे से अश्िवेश':
«ने प्रथम स्वतन्त्र संहिता निर्माण का । तत्पख्यात्त भेड़, जातुकर, पराशर,
क्षञारपाणि और हारीत ने भी पृथक् २ अपने २ नामों से संहिताओं का
निर्माण किया । हारीत संद्धिता का मुद्रित संस्करण जो इस समय धाप्य
है, कश्यों का विचार है कि बह प्रकतत पुस्तक नहीं है। शेप संद्धिताओं
की प्राप्ति दुप्कर कार्यों म॑ परिणत हो चुकी है । '
इस प्रकार आयुर्वेद ने सामयिक आवश्यकता की पूर्ति के लिये
स्वतन्त्र शाख का रूप धारण फिया। तव से यह निरन्तर रूप से
परिष्कृत और परिचद्धित छोता गया।
पुरानी संहिताएँ-चरक, खुश्गत और वाग्भद का विपय और
शैली आयः एक सी ही है। चरक में चिकित्सा की प्धानता हैं और
सुश्षत भ शक््य या सरजरी की । चाग्मट सूत्रस्थान शिशाशाघ्ा ए
1ए॥1008 में ऊचा स्थान प्राप्त किये हुए है। प्राचीन सहिताओं के वाद भी
सामयिक अचस्थाओं और आवश्यकताओं को यथासमय पूरा करने
के लिये आयुर्वेद के आठो मिन्न २ झअइ्ों पर सैकड़ों पुस्तक लिखी गई ।
लॉप हो गया है। जो उपलब्ध भी का अल
ओऔर किसी भी चैद्य या वैद्यसभा मे 1 वालिलित रूपी पढ़े हे
भा ने उन्हें सम्पादित करने का कष्ट
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