देवता विचार | Devta Vichar
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
35
श्रेणी :
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No Information available about श्रीपाद दामोदर सातवळेकर - Shripad Damodar Satwalekar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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देवता-विचार ।
बेदोंका अम्यास्त करनेके समय, यद् सबसे कठिन कोई प्रश्न
सामने आता है, तो “ देवताओंका प्रश्न ” है। देवता किप्तको
कहते हैं ! और उनका स्वरूप क्या है ! इनका जब तक निश्चया-
त्मक उत्तर नहीं दिया जाता, तब तक मंत्रोंका निश्चित अथ जानना
भी अत्यंत कठिन है । वैदिक वाइमयमें “देव और देवता ”
शब्दोंके अथे इतने संकीणे और व्यापक हैं, कि उनको देखनेसे
'पढनेवाढेका मन चक्करमें पड जाता है । इस ढिये वास्तवमें सबसे
प्रथम यदि किप्ती बातका निश्चय करना आवश्यक है, तो इसी
& देवता ” विषयका है। सब दिद्वानोंके प्रयत्न सबसे प्रथम इस
बातमें छगने चाहिए | देवताका संबंध प्रत्येक मंत्रग आता. है।
'इस्त लिये हरएक मंत्र पढनेके समय देवताकी निश्चित करपना सबसे
'प्रथम पाठकके मनमे खडी होनी चाहिए । प्राचीन परंपराके अनु-
सार यदि देखा जायगा तो “ छंद-ऋषि-देवता ” का निश्चित
ज्ञान हेनेके पुवे मंत्रका अथे-विज्ञान हो ही नहीं सकता। इतना
इस विषयका महत्व होनेसे इसका थोडाप्ता स्वरूप पाठकॉके सन्मुख
रख देनेका संकल्प किया है, आशा है कि पाठक इसका अधिक
; विचार करेंगे । देवोंके माताओंका वन निम्न मंत्रमें देखिए--
>अधारयो रोदसी देवपुत्रे प्रत्ने मातरा यह्दी ऋतस्य ॥
.. हक. ३॥१७७
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