श्री गोरख बोध वाणी संग्रह | Gorakh Bodh Vani Sangrah
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
137
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गोरख बोध वाणी संग्रह ... २५
(सुरता-पवन) के मानस संगम को लेकर मर्दा सथाने उनमन
(समाधिस्थ) ध्यान में रहे ।
गोरख उ्ंच (२७)
स्वामीजी ! कोएों घर कोणे बास,
कोणे गर्भ रहा दश मास |
कोण मुखि पाणी कोण मुखिता खीर,
कोण दिल्या उत्पत्ति भया शरीर ॥५३
भावाथ -- है गुरु! किस घर में किस का निवास है ?
गर्भवास में दश माह कौण रहा ” किस मुख से पाणी भी खोर
(दूध) के स्वाद में हो जाए तथा किस दिशा में शरीर की
उत्पत्ति हुई है ।
श्री मच्छन्द्र उवाच
अवध ! अनिलु आतम बास,
आया गर्भ रह्या .वश मास ।
नाभि कंवल भुखि पाणी खीर,
वायुक्वार शनतपति भया शरोर ॥५४
भावाथ--हे योगी ! श्रग्नि . भवन स्थल पिण्ड आत्मा
ने निवास किया, कहों श्रपने श्रहता ममता करि संसार चक्र में
जन्म मरंण पाकर वासना से गर्भवास में झाया। नाभी स्थाने
नागनि मुख पलटने से मूर्दधा-दट्वितः जल ही दूध श्रमृत स्वरूप
प्राप्त होता है। प्राण-वायु के स्तम्भ बंध से स्थल शरीर को
स्थिति है ।
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