प्रारम्भिक मनोविज्ञान | Prarambhik Manovigyan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अनोविज्ञान की विषय-बस्तु लतपा परिभाषा 3 लें, दम बार के वाद वहू प्रयोग वन्द कर देता ह्‌। वह देखता हैं कि एक था अधिक प्रयाज्य ने ४ वार क दाद समी शत का सही-सही दाहरो लिया हू, कुछ ने ऐसा ६ बार क॑ वाद किया ह। एक या कुछ पपिक प्रयोज्य दस वार के प्रन्त में मो समी शदा को सही-्मही नहीं दाहण सके हू । यह प्रयोग ठीक उसी तरह दूसर दल पर भी किया जाता है । किन्तु प्रयाग प्रारम्भ करने के पटव प्रयागकर्ता प्रयाज्य से यह कहता हू दि उसके पास तीन पुरस्कार ह जा इस प्रयाग में प्रथम, दितीय एवं सृतोय स्थान थाने वाले का दिए जायगे। यह उसन पहले दल के लोगा का नहीं वत- लाया था। श्रत॒ पहले दल ने विसी पुरस्वार के लिए काय नहीं क्या 1 पहले दत का नियात्रत दल ( 0०४7० हु०७७ / बहा जाता हू। दूसरा दल तिस पुरस्कार के लिए काय करने का कहा गया हू वह प्रय'गा मक दल ( &/'ुल्याप०थाध्वं 8०००ए ) कहलाता हूं। यह ऐसा इसलिए कह लाता ह क्‍्याकि प्रयोग पुरम्कार वे प्रभाव का पता लगाने के तिए किया गया है । दूसर दल पर ठीक पहले दल की तरह से प्रयाग पूरा बरने के आाद प्रयागकता प्रयोग के परिणाम को जाच करता ह। वह यह पाता हू पक इस दन के सभी प्रयाया ने श्राठवें वार में समी शब्दा को सहोन्यही डाहरा दिया ह। कुछ ने ता सभो शद्धा वो चौथे बार में ही दाहरा जिया । प्रयोगकर्ता इस निपष्क्ष पर पहुँचता हू कि जब सोखने वा काय अच्छे ठग से करने के लिए प्रयोज्या को पुरस्कार का प्रलोभन दिया यया सब उनका सीखना जल्द हुआ । अच्छे काय के लिए पुरस्कार उस काय का या किसी काय के साखने का प्रमावित करता हू । प्रयोग का परिणाम झधिक विश्वसनीय हांता हूं। स्वमाविक स्थिति निरीक्षण या स्वाभाविक निरीक्षण में ऐमा नहीं होता हूं। प्रयोग में प्रयोगवता अपने श्रयोज्या के व्यवहारा का निरीक्षण ऐसी परिस्थितियों में करता ह जिन्हे वह स्वय उत्पन करता ह। वह सभी परिस्थितियों को जानता हू शोर वह यह भी जानता हू कि वहाँ श्र कोई दूसरी स्थिति नहीं ह। ऐसा नियन्रण स्वाभाविक निरीक्षण




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