श्री राजप्रश्नीय सूत्रम् [ भाग २] | Shri Rajprashniya Sutram [ Part 2 ]

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Shri Rajprashniya Sutram [ Part 2 ] by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
अशुद्ध सज्झय प्रा दपीटा प्ण्‌ दुध्यभा छह पडिविसज्जे मेजपनेयपरावद 1 उले जीवियारिहं * सने पच्चाप्िणेह घंटा वाले हिजए घरटोंवाला ०2 अुथ चहुणे परमसौमनस्थित: पहुगणतरस्‌ आरामगय वा ते चेच ना लभह केवलिपन्त धम्म्‌ फेवलिपन्नत पाधस्वाधेन छ्त्ग मदर्ण ण्‌ जारामगव उवस्सगर्ष अवुपासन( शुद्ध सज्ज्वय प्रासादपीदा प्ग हुध्यभां ७५८ पडिविसज्लेह भेजपने।६ न विषुल जीवियारिहं उसने पच्चणिणेह घंटोवाले हियए घेटोंचाला ड्र्प्ट “2 बहूण प्रससामनस्थितः चहुगुणतग्ध आरासगर्य वा त॑ चेव नो रूम फेवलिपन्सत्त धम्म के वलिपन्नत्ते खाधम्बाथेन छ्त्तेण माह पृ आरामगत उबस्सगये 'पथु पासना पेज १२४७ शरण श्र प्‌२५ क्शप १२६ १२६ १२६ १५७ १२७ १२७ १२७ शर्ट पेए्८ प्‌२९८- १३० १३० १३१ १३२ १३२ १३२ श्३२ १३२ १३५ १३५ शै३५ १३५ हि कै १३६ १३६ पट्टि १३ कक, न श्ट २३ ज्‌ ड १८ श्प रे 0 १० १४ ३ 5 श्र र्‌ 0 १३ अं पर १२ २१ पक श्थ २१ २९ १९ रभ




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now